शब्द अपाहिज मौनीबाबा
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’9 Jun 2017
बड़की को है
कुछ-कुछ नज़ला
छुटकी को है
कुछ-कुछ खाँसी
घर की हालत ठीक नहीं है
आई चिट्ठी
कल मैके से
गई भतीजी पैदल घर से
बाप वकील
सिपाही भैया
मम्मी मुखिया निकली डर से
बिना बताये
बिना कहे कुछ
घरवाली भी पहुँची झाँसी
घर की हालत ठीक नहीं है
बड़का पैसा
माँग रहा है
भरती उसका जनमा बेटा
जनमा है वह
दुबला-पतला
‘बाल बाटिका’ में है लेटा
बता रहा था
साली उसकी
लगा गई है कल ही फाँसी
घर की हालत ठीक नहीं है
बदली भाषा
की परिभाषा
शब्द अपाहिज मौनीबाबा
अलग चौपई
रहा अलापा
पड़ा अकेला दुखिया ढाबा
है खिसियाई
काली माई
‘सुनि-सुनि आवत’ ‘जब-तब हाँसी’
घर की हालत ठीक नहीं है
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