शराब चीज ऐसी है
काव्य साहित्य | कविता दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'30 Dec 2007
1.
शराब के नशे में वादे
कर वह सुबह भूल जाते हैं
पूरे करने की बात कहो तो
याद करने के लिए बोतल
माँगने लग जाते हैं
2.
आदमी पीता है शराब
या आदमी को शराब
यह एक यक्ष प्रश्न है
जिसका नहीं ढूँढ पाया
कोई भी जवाब
3.
सिर पर चढ़ती शराब
आदमी को शेर बना देती है
दौड़ता है इधर उधर बेलगाम
काबू में नहीं रहती जुबान
उतरती चूहा बना देती है
घबड़ा जाता है आदमी
ढूँढता है छिपने की जगह
अपने ही हाथ में नहीं रहती
अपने दिमाग की कमान
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