शरद ऋतु आयी मेरी बगियन में
काव्य साहित्य | कविता किशन नेगी 'एकांत'1 Mar 2019
श्वेत चाँदनी बिखरी पड़ी है
ठंडी आहें भरे बावरी बयार
मेरी काँच की बगियन में
झूमे अमलतास झूमे मैगनोलिया
काँच की चादर ओढ़े झूमती धरा
मेरी श्वेत बगियन में
काँच की बालियाँ पहने
थिरकती गुलाब की कोमल पाँखुरी
मेरी चाँदनी बगियन में
काँच के कंगन पहनकर
खनखनाता पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा
मेरी उज्ज्वल बगियन में
शीतल पौन चूमती
पत्तियों के ठण्डे कपोलों को
मेरी दमकती बगियन में
उत्तरी ध्रुव से झूमती आयी
शरद की मादक पावन बेला
मेरी दमकती बगियन में
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