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शिव संकल्प 

शुभ विचार एकाग्रता 
हो कल्याण प्रकल्प। 
अहंकार का नाश ही 
होता शिव संकल्प। 
 
मृत्यु में जीवन निहित 
जीवन से उत्कर्ष। 
अधिष्ठात्र शिव देव हैं 
शिव संकल्प प्रकर्ष। 
 
सर्वमुक्त हैं शिव सदा 
हैं अनादि आलोक। 
प्राण अपान उदान में 
नभ अंतर भूलोक। 
 
सौम्य भयंकर शिव स्वयं 
अभ्यंकर अतिरूप। 
शून्य सूक्ष्म परमाणु तम 
अति विराट प्रारूप। 
 
शुद्ध सत्य निरपेक्ष हैं 
तत्व सार आदर्श। 
सृजन लिए संहार में 
मानवता प्रादर्श। 
 
राम जिन्हें उर में लिए 
भजते हैं दिन रात। 
रावण के भी इष्ट शिव 
किलष्ट शिष्ट निष्णात। 
 
देव दनुज मानव सभी 
जिनके हों प्रिय भक्त। 
पूर्ण मिदं पूर्णात शिव 
परिपूर्णम अभिसिक्त। 
 
शिव परिग्रह शिक्षित करे 
जीवन के आकल्प। 
दीन दुखी के दुःख हरो 
सत्य शिवम संकल्प। 
 
मस्तक पर चंदा सजे 
अरु विषधर शिव कंठ 
आत्म भूत ख़ुद को रखें 
छोड़ भोग वैकुण्ठ। 
 
निज सुख भोगों से विलग 
छोड़ राज सुख धाम। 
दीन हीन पशु संग शिव 
हैं अनादि आयाम। 
 
शिव चरित्र का संचरण 
है मुक्ति का छोर। 
घोर तिमिर का नाश कर 
शुभ निर्वाण विभोर। 
 
हैं शिव कल्याणक सदा 
परम सरल आवाह्य। 
महादेव निज शरण लो 
जप लो नमः शिवाय। 

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