सिखाना छोड़, होंठों पर उसी का नाम रहने दे
शायरी | ग़ज़ल दिलबाग विर्क20 Mar 2015
सिखाना छोड़, होंठों पर उसी का नाम रहने दे
यही है ज़िन्दगी अब, हाथ में तू जाम रहने दे।
अदा होगी नही कीमत कभी मशहूर होने की
यही अच्छा रहेगा, तू मुझे गुमनाम रहने दे।
मझे मालूम है, रूसवा करेंगे प्यार के चर्चे
लगे प्यारा, मेरे सिर प्यार का इल्ज़ाम रहने दे।
शरीफ़ों की शराफ़त देख ली मैंने यहाँ यारो
नहीं मैं साथ उनके, बस मुझे बदनाम रहने दे।
तुझे जो चाहिए ले ले, बचे जो छोड़ देना वो
मेरे हिस्से सवेरा जो न हो, तो शाम रहने दे।
मुझे तो राह का'बे का लगे, महबूब की गलियाँ
वहाँ पर 'विर्क' जाना रोज़ हो, कुछ काम रहने दे।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
पुस्तक समीक्षा
ग़ज़ल
कविता
लघुकथा
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं