सोलह शृंगार
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत नरेंद्र श्रीवास्तव15 Jun 2019
ये सोलह शृंगार है, अभिसार के लिये।
ये चितवन इज़हार है, इक़रार के लिये॥
ये चूड़ी की खनक,
ये बिंदी की चमक।
ये माला की लटक,
ये पायल की छमक॥
ये प्रीत मनुहार है, दिलदार के लिये।
ये मेहंदी की महक,
ये माहुर की चहक।
ये काजल की दहक,
ये कुंकुम की कहक॥
ये अमृत बयार है, सत्कार के लिये।
ये सपनों की लचक
ये लज्जा की कसक।
ये रिश्ते की भनक,
ये अपनों की झलक॥
ये अंतर पुकार है,दीदार के लिये।
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