सूरज ने गर्मी फैलायी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता रमेशराज1 Jul 2019
सूरज ने गर्मी फैलायी, उई दइया।
काली-पीली आँधी आयी, उई दइया॥
मार रही लूएँ देखो सबको चाँटे।
प्यास कंठ की बुझ ना पायी, उई दइया॥
हीटर और अलावों के दिन बीत गये।
पंखे, कूलर पड़े दिखायी, उई दइया॥
आग बरसती अब तो भैया अंबर से।
मौसम है कितना दुखदायी, उई दइया॥
झीलों में पानी का कोई पता नहीं।
लो गर्मी ने नदी सुखायी, उई दइया॥
याद करें अब सब ककड़ी-अंगूरों को।
मूँगफली की बात भुलायी, उई दइया॥
आसमान अब अंगारे बरसाता है।
धूल सभी के सर पर छायी, उई दइया॥
पेड़ और बिजली के खम्भे टूट रहे।
अब आँधी ने धूम मचायी, उई दइया॥
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