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सृष्टि नियंता राम

आज जुड़ा इतिहास में, नूतन स्वर्णिम सर्ग।
तीर्थ अयोध्या घाम में, जैसे उतरा स्वर्ग।
 
शिलान्यास की शुभ घड़ी, भक्तों में उल्लास।
अद्भुत,अनुपम, भव्यतम, होगा राम निवास।
 
भजन, कीर्तन, शंख ध्वनि, घर-घर मंगल दीप।
नयन बसी छवि राम-सिय, हिय में प्रेम प्रदीप।
 
राम-जानकी लक्ष्मण,पवन तनय हनुमान।
अवध नगर पुनि आइये, कृपा सिंधु भगवान।
 
चरण-कमल हैं धो रहे, सेवक हनुमत वीर।
राम-जानकी के चरण, पावन सरयू नीर।
 
द्वार-द्वार मंगल कलश, दीप आरती थाल।
तोरण, वंदन वार नव, स्वागत द्वार विशाल।
 
शांति, सुमंगल, मोक्ष प्रद, अवध पुरी शुभ धाम।
जहाँ विराजीं जानकी, सृष्टि नियंता राम।

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