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स्त्री जीवन की त्रासदी "टेस - ऑफ द ड्यूबरविल"

"टेस ऑफ द ड्यूबरविल" इंग्लैंड के सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यासकार थॉमस हार्डी (840 – 1928) द्वारा रचित एक संवेदनशील आंचलिक उपन्यास है। उन्नीसवीं शताब्दी के ग्रामीण और आंचलिक परिवेश के महान कथाकार के रूप में थॉमस हार्डी की ख्याति समूचे विश्व साहित्य में व्याप्त है। वे मूलत: कवि थे किन्तु उनकी औपन्यासिक कृतियाँ उस काल के इंग्लैंड की सामाजिक परिस्थितियों में नारी की पीड़ा और संवेदनाओं को यथार्थ के साथ दर्शाती हैं। अपने उपन्यासों के द्वारा उन्होंने विक्टोरियन समाज में व्याप्त उच्चवर्गीय नैतिक मान्यताओं पर प्रहार किया था। थॉमस हार्डी के उपन्यास, नियति की क्रूरता से ध्वस्त मानव जीवन की त्रासदी को प्रस्तुत करता है किन्तु उनके काव्य की प्रवृत्ति स्वच्छंदतावादी थी। अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध छायावादी कवि "वर्ड्सवर्थ" से वे प्रेरित थे। उस युग के महान कथाकार "चार्ल्स डिकेंस" हार्डी के प्रिय कथाकार थे। उनके उपन्यासों का लक्ष्य इंग्लैंड की ह्रासोन्मुख ग्रामीण समाज का चित्रण है। हार्डी स्वभाव और प्रवृत्ति से मूलत: कवि थे और वे स्वयं अपने को कवि के रूप में ही देखते थे, किन्तु साहित्य जगत में उन्हें सर्वाधिक लोकप्रियता और कीर्ति उनके उपन्यासों से ही प्राप्त हुई। सन् 1867 से 1897 के मध्य उन्होंने सत्रह उपन्यासों की रचना की। इनमें से "फार फ्राम द मैडिंग क्राउड (1874), मेयर ऑफ केस्टर ब्रिज (1886), द वुडलैंडर्स (1887), टेस ऑफ द ड्यूबरविल (1891) और ज्यूड द अब्सक्योर (1895) सर्वाधिक लोकप्रिय हुए। वे उपन्यासों में स्त्री-पुरुष संबंधों की सामाजिक और मनोवैज्ञानिक जटिलता को गंभीरता से चित्रित करते हैं। हार्डी ने अपने उपन्यासों में स्त्री-पुरुषों के प्रेम एवं दांपत्य संबंधों की उलझन भरी गुत्थियों को सामयिक नैतिक मूल्यों के संदर्भ में परखा है। वे स्त्री-पुरुष संबंधों में उत्पन्न द्वन्द्वात्मकता से उत्पन्न परिस्थितियों को विधि का विधान मानते हैं। हार्डी द्वारा रचित पचास से अधिक कहानियाँ, इंग्लैंड की ग्रामीण संस्कृति को स्थानीय रंग के साथ सुंदर चित्रपट के रूप में चित्रांकित करती हैं। हार्डी मानव मन की परतों के सशक्त विश्लेषक थे, उनके उपन्यास इस कथन के प्रत्यक्ष साक्ष्य हैं। उनके पात्रों की मानसिकता और संवेदनाएँ प्रकृति के उग्र और कोमल स्वरूप में व्यक्त हुआ करती हैं। वे मनुष्य की भावनाओं को प्रकृति पर निरूपित करते हैं। थॉमस हार्डी स्त्री के उत्पीड़न और शोषण को नियतिवादी अभिव्यंजना का रूप देने वाले विशिष्ट रचनाकार हैं। उन्होंने "एसेक्स और वेसेक्स" ग्रामांचलों की स्थानीय जीवन शैली और परम्पराओं के अनुकूल पात्रों को गढ़कर संवेदनशील उपन्यासों की रचना की। विद्वानों का मत है कि समूचे अंग्रेज़ी कथासाहित्य में "हार्डी" जैसा नियतिवादी उपन्यासकार दूसरा नहीं है। "टेस ऑफ द ड्यूबरविल" उनके समस्त उपन्यासों में सबसे मार्मिक और करुणान्त उपन्यास है। यह उपन्यास सर्वप्रथम सन् 1891 में "द ग्राफिक" नामक समाचार पत्र में साप्ताहिक धारावाहिक के रूप में प्रकाशित हुआ था। पुस्तक रूप में यह सन् 1892 में प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास, विक्टोरियन सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों के प्रति लेखक के विद्रोही तेवर के कारण, प्रारम्भ में पाठकों की तीखी आलोचना का शिकार हुआ। किन्तु धीरे-धीरे लोगों का दृष्टिकोण बदला और फिर यही उपन्यास थॉमस हार्डी का सर्वाधिक रोचक, लोकप्रिय और महत्त्वपूर्ण उपन्यास बन गया। रचना क्रम में "टेस" थॉमस हार्डी का बारहवाँ उपन्यास है। सशक्त चरित्र चित्रण और वेसेक्स ग्रामांचल की चित्ताकर्षक भौगोलिक पृष्ठभूमि का सुंदर वर्णन, उपन्यास की पठनीय बनाता है।

विवेच्य ग्रामांचल में मेहनती गड़रिये और किसान, गाँव के मेले, साप्ताहिक हाट, ऊँची घास के घने जंगल, विस्तृत खुले हरे-भरे मैदान, छोटी-छोटी पहाड़ियाँ और टेकड़ियाँ, इंग्लैंड के देहाती सुगंध को बिखेरते हैं। इंग्लैंड के देहाती सौन्दर्य को "हार्डी" ने अद्भुत और आकर्षक शब्द-सामर्थ्य एवं रचना कौशल से सजीव कर दिया है।

"टेस ऑफ ड्यूबरविल" की नायिका टेस, जुझारू और संघर्षशील स्त्री है। पुरुषवादी दमन और शोषण से मुक्त होने की उसकी मुहिम, रूढ़िवादी समाज को झकझोरकर रख देती है। टेस में स्त्री के प्रति आभिजात्य वर्ग की भोगवादी दृष्टि और छद्म नैतिकता को उजागर किया गया जिस कारण इस उपन्यास की प्रतियाँ आभिजात्य वर्ग के ठेकेदारों द्वारा नष्ट कर दी गईं। "मैकमिलन" जैसी प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था ने इसे जलाकर खत्म कर देने की सलाह तक दे डाली। लेकिन "हार्डी" विचलित नहीं हुए और उन्होंने अपनी हस्तलिखित पाण्डुलिपि को सुरक्षित रखा। "टेस ऑफ द ड्यूबरविल" और "ज्यूड द अब्स्क्योर" (1895) उपन्यासों के प्रति उठे विवाद और विरोध ने हार्डी को दुःखी कर दिया। इसीलिए वे उपन्यास लेखन से विमुख होकर काव्य रचना की ओर प्रवृत्त हुए।

"टेस ऑफ द ड्यूबरविल" का कथानक 1870 के काल के निर्धन ग्रामीण किसानों के जीवन संघर्ष को प्रस्तुत करता है। इंग्लैंड के "वेसेक्स" अंचल के एक छोटे से गाँव में "जॉन डर्बीफील्ड" नामक एक निर्धन अशिक्षित किसान को एक शाम, राह चलते उस गाँव का पादरी, जॉन के कुलनाम (सरनेम) "डर्बीफील्ड" को "ड्यूबरविल" नामक एक कुलीन परिवार से जुड़े होने का संकेत देता है। उसका आशय "जॉन" को उस अमीर परिवार से संपर्क साधकर अपनी दरिद्रता को दूर करने के लिए प्रेरित करना था। "जॉन डर्बीफील्ड" इस खबर से प्रफुल्लित होकर एक सुनहरे भविष्य की कल्पना में डूब जाता है।

उसी दिन गाँव में एक और महत्त्वपूर्ण घटना घटती है। वहाँ मनाए जाने वाले "मई उत्सव" में गाँव की लड़कियों के नाच गाने में उपन्यास का नायक "एंजेल क्लेयर" प्रकट होता है। वह अपने मित्रों के साथ उस रास्ते से गुजरते हुए लड़कियों के समूह में मौज-मस्ती के लिए कुछ देर के लिए शामिल हो जाता है। उसकी नजर टेस पर पड़ती है लेकिन वह उसकी ओर ध्यान दिए बिना चला जाता है। टेस अपनी उपेक्षा से मन ही मन अपमानित महसूस करती है। टेस अपने गरीब माता-पिता की ज्येष्ठ संतान थी, उसके तीन और भाई–बहन थे। टेस के पिता शराब के नशे में चूर होकर हमेशा गरीबी को कोसते रहते और वे टेस से काफी अपेक्षाएँ रखते थे। एक प्रात: शहद बेचने के लिए, कस्बे को जाते हुए टेस की घोड़ा गाड़ी सामने से तेज रफ्तार से आती हुई गाड़ी से टकराकर लुढ़क जाती है। इस दुर्घटना में उनका प्रिय घोड़ा प्रिंस गाड़ी के पहिये से कटकर दम तोड़ देता है। घोड़े की मृत्यु के लिए टेस स्वयं को दोषी मानती है। यह दुर्घटना टेस के जीवन में आने वाली मुसीबतों का संकेत थी। वह अपने परिवार का दायित्व स्वयं स्वीकार करना चाहती है। इसी समय टेस के पिता को पता चलता है कि पड़ोस के गाँव "ट्रेंट्रीज़" में "ड्यूबरविल" नामक एक परिवार रहता है। वहाँ एक वृद्धा अपने जवान बेटे "एलेक ड्यूबरविल" के संग रहती है। वास्तव में उस वृद्धा के पति ने "ड्यूबरविल" कुलनाम कहीं से सुनकर अपने नाम से जोड़ लिया था, उनका कोई संबंध ड्यूबरविल से नहीं था। टेस के पिता जॉन को लगता है कि, उसका परिवार उसी "ड्यूबरविल" कुल का अंग है। जॉन, टेस को कोई अच्छा काम या आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए "ड्यूबरविल" परिवार में भेजने का इरादा करता है। टेस की माँ के मन में विचार आता है कि यदि उस घर में कोई जवान लड़का हो तो टेस की शादी की बात सोची जा सकती है। इससे टेस एक अमीर अभिजात स्त्री बन जाएगी। टेस को इसी उद्देश्य से एक दिन ट्रेंट्रिज में स्थित "ड्यूबरविल" घराने की और रवाना कर दिया जाता है। ड्यूबरविल निवास में उसे एक पच्चीस वर्षीय युवक "एलेक ड्यूबरविल" से सबसे पहले भेंट होती है। पहली भेंट में ही वह टेस की ओर ललचाई नजरों से देखता है। टेस को एलेक की बूढ़ी नेत्रहीन माँ की सेवा का काम मिल जाता है। वह "एलेक" के असमान्य व्यवहार से खीझकर काम छोड़कर अपने गाँव लौट आती है। लेकिन उसके भाग्य में कुछ और ही लिखा था। उस घर की बूढ़ी मालकिन, उसे बुला लिवा लाने के लिए एलेक को भेजती है। एलेक अपनी घोड़ा गाड़ी लेकर टेस के घर आ पहुँचता है। टेस अनमने भाव से उसके संग जाने के लिए गाड़ी में बैठ जाती है। एलेक गाड़ी को तूफानी रफ्तार से दौड़ाकर टेस को उसका सहारा लेने के लिए के लिए मजबूर करता है। टेस को उसका व्यवहार अभद्र लगता है। वह एलेक के कुटिल इरादे भाँप लेती है और गाड़ी रुकवाकर उतरकर, पैदल ही ड्यूबरविल निवास पहुँचती है। एलेक किसी भी तरह से टेस को हासिल करने की इच्छा बलवती होती जाती है। लेकिन टेस किसी तरह एलेक से अपने को बचाते हुए समय बिताती है। एक सप्ताहांत ड्यूबरविल की अन्य मजदूर स्त्रियों के साथ टेस पड़ोस के हाट को जाती है। लौटते समय टेस का एक मजदूर स्त्री में झगड़ा हो जाता है। यह मजदूरनी एलेक की पूर्व प्रेमिका थी। एलेक मौके पर पहुँचकर टेस को अपने घोड़े पर सवार कराकर रात के अंधेरे में घर की राह लेता है। कुछ दूर जाकर वह रास्ते से भटक कर निर्जन एकांत में झाड़ियों के एक झुरमुट में टेस को घोडे से उतारकर उसे विश्राम करने के लिए कहता है। टेस को थकान से नींद आ जाती है। एलेक को इसी वक्त का इंतजार था, वह वासना की आग में जल रहा था। टेस की तंद्रिल अवस्था में एलेक उसे अपनी वासना का शिकार बना लेता है। एलेक, टेस के कौमार्य को छल से लूट लेता है। नींद से जागकर टेस स्वयं को ध्वस्त मनोदशा में पाती है। इस तरह छली जाकर टेस का हृदय आत्मग्लानि से भर उठता है। टेस बलात्कार की पीड़ा और अपमान को हृदय में छिपाए ड्यूबरविल का निवास और ट्रेंट्रीज़ छोड़कर अपने गाँव "मार्लट" लौट आती है। टेस के माता-पिता उसे "ड्यूबरविल" घराने की अमीर बहू के रूप में देखने की कल्पना कर रहे थे। किन्तु पुत्री के कलंकित होकर लौट आने को वे स्वीकार नहीं कर पाते। परिवार की मान-मर्यादा नष्ट करने के लिए टेस को सभी लोग दोषी ठहराते हैं। टेस के गाँव वाले उसकी अचानक वापसी को लेकर उसे दुश्चरित्र और कुलटा कहकर कानाफूसी करने लगते हैं।
एलेक के दुराचार से टेस गर्भवती हो जाती है। वह एक बच्चे को जन्म देती है। वह इस विषम स्थिति का सामना साहस के साथ करना चाहती है। वह सामाजिक अवहेलना और घृणा की परवाह न करते हुए नवजात शिशु को पालने का संकल्प लेती है, किन्तु दुर्भाग्य से वह बच्चा बीमार पड़ जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। इसाई धर्म के अनुसार बेनाम बच्चे का विधिवत अंतिम संस्कार करने का अधिकार परिवार को नहीं होता। टेस चर्च के पादरी को अपने बच्चे को नाम देने के लिए गिड़गिड़ाती है लेकिन चर्च का पादरी उसे तिरस्कृत कर निकाल बाहर करता है। टेस विवश होकर अपने मृत बच्चे का नामकरण स्वयं करती है। वह बच्चे का नाम "सारो " (sorrow) यानी "दुःख" रखकर उसे चर्च के बाहर दफन कर देती है।

इस घटना के बाद टेस फिर एक बार अपना गाँव छोड़कर निकल पड़ती है। वह अपने कलंकित अतीत को भुला देना चाहती है। इसलिए वह किसी ऐसी जगह जाना चाहती है जहाँ कोई उसके विगत जीवन को न जानता हो। दो वर्षों के भटकाव के बाद वह बीस वर्ष की उम्र में एक छोटे से गाँव में "क्रिक" नामक दंपति के डेयरी फार्म में मजदूरी करने लगती है। वह सादगी भरा मजदूरों का जीवन बिताती है। साथ की मजदूर स्त्रियाँ उसके संग आत्मीयता भरा व्यवहार करती हैं। उसी डेयरी में उपन्यास का नायक एंजेल क्लेयर भी डेयरी का काम सीखने के लिए मौजूद रहता है। एंजेल के पिता धर्मगुरु थे और वे एंजेल को भी उसी पेशे में शामिल करना चाहते थे किन्तु एंजेल को कृषि और डेयरी व्यवसाय में रुचि थी। इसलिए वह भी "क्रिक" के डेयरी में पशुपालन, और दुग्ध व्यवसाय में निपुणता हासिल करने के लिए पहुँचता है। वह टेस के सरल सौन्दर्य से प्रभावित होता है और उससे मन ही मन प्रेम करने लगता है। उसके माता-पिता उसका विवाह "मेर्सी चान्ट" नामक लड़की से तय करते हैं लेकिन वह अपने लिए टेस को पसंद करता है। वह एक दिन टेस से विवाह का प्रस्ताव कर बैठता है। टेस के मन में भी एंजेल के लिए सुकोमल संवेदनाएँ जन्म लेती हैं। किन्तु उसे अपने विगत जीवन के उजागर होने के भय निरंतर सताता रहता है। वह अपने जीवन के उस कलंकित अंश से एंजेल को अवगत करा देना चाहती है जिससे कि उनका वैवाहिक जीवन सुखमय हो सके। वह इसके लिए उचित समय की प्रतीक्षा करती है। जैसे जैसे उनके विवाह का दिन निकट आता है टेस चिंतित होने लगती है। एक दिन वह अपने अतीत की कहानी पत्र में लिखकर, उस पत्र को एंजेल के कमरे में छोड़ आती है। दूसरे दिन प्रात: एंजेल के व्यवहार से वह समझती है कि एंजेल ने उसके पत्र को पढ़ लिया। किन्तु उसे उसका पत्र एंजेल के कमरे के कालीन के नीचे दबा पड़ा मिलता है। वह निराश होकर उस पत्र को नष्ट कर डालती है।

एंजेल और टेस का विवाह औपचारिक रूप से सम्पन्न हो जाता है। एंजेल इस अवसर पर टेस को अपनी दादी का हीरों का कीमती हार उपहार स्वरूप देता है। उस रात एंजेल, टेस को अपने पूर्ववर्ती जीवन में घटित एक प्रेम-प्रकरण को उद्घाटित करता है। एंजेल के उस प्रकरण को जानकार टेस भी अपने पूर्ववर्ती जीवन में घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटना को एंजेल के सम्मुख प्रकट करती है। एंजेल के मनोलोक में भूचाल आ जाता है। वह टेस के जीवन के कलंकित अतीत को स्वीकार नहीं कर पाता। वह क्रोध और आक्रोश से उत्तेजित हो जाता है। उसका प्रेम कुछ ही पलों में हिंसक घृणा का रूप धारण कर लेता है। एंजेल के इस रूप को देखकर टेस भय और निराशा में डूब जाती है। उसने एंजेल से इस तरह के अविश्वास और अपमान की कल्पना नहीं की थी। टेस की आशा के विपरीत एंजेल उसे माफ नहीं कर पाता। इसी तनाव में कुछ दिन बीत जाते हैं। टेस, एंजेल के जीवन से अलग हो कर कहीं दूर चले जाने का निर्णय करती है। एंजेल भी विक्षिप्त मानसिक अवस्था में टेस से संबंध विच्छेद करने का निर्णय ले लेता है। जाते समय वह टेस को चेतावनी देता है कि वह कभी भी उससे मिलने का प्रयास न करे। उसका अस्थिर मन इंग्लैंड छोड़कर चला जाना चाहता है। वह टेस की ही साथी मजदूर स्त्री से अपने प्रेम का जिक्र करता है। तब वह मजदूरनी कहती है कि "उसे टेस के समान कभी कोई प्यार नहीं कर सकता।" एंजेल की मानसिकता घोर द्वंद्व में उलझकर उसके जीवन को बिखेर देती है। एंजेल से बिछुड़कर टेस का जीवन अंजान राहों पर भटकने लगता है। वह दुखी, वंचित और पीड़ित होकर बेसहारे गाँव-गाँव भटकते हुए किसी तरह अपना जीवन बिताती रहती है। इस भटकाव में अकस्मात उसका सामना एलेक ड्यूबरविल से अनायास हो जाता है। वह धर्मप्रचारक बनकर लोगों को उपदेश देता भटक रहा था। एलेक फौरन टेस को पहचान लेता है और टेस का पीछा करता है। टेस के सामने एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हो जाती है। एलेक, टेस की दुर्दशा देखकर धर्म प्रचार का कार्य छोड़कर फिर से वह अपने प्रेम की सच्चाई को प्रमाणित करने का प्रयास करता है। टेस उसे अपने विवाहित होने की असलियत बताकर उससे छुटकारा पाने की कोशिश करती है। लेकिन एलेक उसका पीछा नहीं छोड़ता। टेस के जीवन में दुखों का अंत होता नहीं दिखाई देता।

उसके पिता का देहांत हो जाता है, पिता के कर्ज के एवज में उसके माँ और भाई बहनों को बेघर होना पड़ता है। ऐसे समय में टेस, एंजेल से सहायता की याचना करते हुए पत्र लिखती है, लेकिन उसे एंजेल से कोई समाचार नहीं मिलता। वह एंजेल को ढूँढने का प्रयत्न करती है किन्तु एंजेल कहीं खो जाता है। उधर एंजेल स्वयं विक्षिप्त अवस्था में देश-देशांतर भटककर जब अपने गाँव लौटता है तो उसे टेस के पत्र प्राप्त होते हैं। वह प्रायश्चित्त और पश्चाताप की भावना से टेस को पुन: प्राप्त करना चाहता है। वह टेस की खोज में निकल पड़ता है। वह कई दिनों की खोज के बाद किसी तरह टेस की माँ और भाई-बहनों के नए मुकाम पर पहुँचता है, जिसे एलेक ने उन लोगों के लिए मुहैया कराया था। लेकिन टेस की माँ उसे टेस का पता बताने से इनकार कर देती है।

किसी तरह एंजेल पता चलता है कि "सैंडबर्न" के सागर तट पर एक महंगे आवास में कोई "श्रीमती ड्यूबरविल" नाम की एक अमीर महिला आई हुई है। वह थका हारा, शारीरिक और मानसिक रूप से टूटा हुआ पत्नी को स्वीकार करने के उद्देश्य से उस पते पर पहुँचता है। एंजेल अधीरता से उस द्वार पर जा खड़ा होता है। दरबान से आगंतुक के बारे में जानकार एक संभ्रांत महिला उसके सम्मुख आ खड़ी होती है। वह कोई और नहीं टेस ही थी। वह सीढ़ियों के पास नीचे खड़े अपने पति को देखती है और वहीं से कहती है – "एंजेल मैंने तुम्हारी बड़ी प्रतीक्षा की, किन्तु तुम नहीं आए, एलेक ड्यूबरविल ने मुझे पुन: जीत लिया।"

एंजेल उसे देखकर चकित हो जाता है, वह टेस ही थी, किन्तु बहुत बदली हुई। वह सुसंपन्न आभिजात्य के दर्प को ओढ़े हुए एंजेल के सामने खड़ी थी। एंजेल, अपनी गलती के लिए माफी माँगता है। टेस करुण स्वर में उससे कहती है कि "तुम्हारे आने में बहुत देर हो गई।"

वह एंजेल को चले जाने के लिए कहती है और कभी वापस न आने की विनती करती है। एंजेल गहन निराशा के साथ चला जाता है। टेस मकान के ऊपरी मंजिल में जाकर ग्लानि और दुःख से घुटनों के बल गिर पड़ती है। वह एलेक को कोसती है, उसे एलेक पर गुस्सा आता है, वह चीख उठती है –

"एंजेल को मैंने एक बार फिर खो दिया। वह भी केवल तुम्हारे कारण।"

एलेक ने ही उससे एंजेल के बारे झूठ बोला था – "तुम्हारा एंजेल नामक तथाकथित पति कभी भी लौटकर आने वाला नहीं है।"

एंजेल हताश होकर फिर टेस से दूर जाता रहता है कि अचानक टेस उसके सम्मुख प्रकट होती है। वह एंजेल से कहती है कि उसने एलेक को मार डाला है। वह एलेक की हत्या करके एंजेल को अपने प्रेम का सबूत देती है जिससे कि एंजेल उसे माफ कर देगा। एंजेल टेस की बातों पर विश्वास नहीं करता किन्तु वह उसे माफ कर देता है। वे दोनों घनी आबादी से दूर किसी निर्जन जगह में छिपने के लिए पलायन करते हैं। टेस के लिए तलाश खत्म हो जाने तक वे कहीं छिपकर रहना चाहते हैं। इसके बाद वे दोनों समुद्र के रास्ते किसी दूसरे प्रांत में चले जाने की योजना बना लेते हैं। उन्हें एक वीरान खाली हवेली दिखाई देती है। वे दोनों उस हवेली में पाँच दिनों तक छिपकर अपने प्यार की दुनिया में खो जाते हैं। अंत में एक दिन उस हवेली की सफाई करने वाली महिला की नजरों में वे आ जाते हैं। वे वहाँ से भाग निकलते हैं और रात के अंधेरे में भी वे दोनों निर्जन राहों पर चलते जाते हैं। उस निर्जन प्रदेश में विकराल राक्षसों की भांति पेड़ और विशालकाय चट्टानें दिखती हैं। स्टोनहेज नामक उन चट्टानों के मध्य टेस थककर एंजेल की गोद में सो जाती है। सुबह होने तक सिपाही उन्हें घेर लेते हैं। टेस कि जब आँख खुलती है तो वह अपने पति से पूछती है – "ये लोग मुझे पकड़ने के लिए आए हैं न?"

तब उसके मुख से यही निकलता है "अब मैं तुम्हारी नफरत के लिए ज़िंदा नहीं रहूँगी।"

उसके अंतिम शब्द थे – "मैं तैयार हूँ।"

वह एंजेल को उसके मरने के बाद उसकी बहन से विवाह कर लेने के लिए कहती है। टेस को विंचेस्टर के कैदखाने में ले जाया जाता है। एंजेल और टेस की बहन लिज़ा दोनों पहाड़ी पर से टेस को फांसी देने के लिए हिलाई जाती हुई काली झंडी को देखते हैं।

यही उपन्यास का अंत है।

"टेस" के जीवन की त्रासदी यह थी कि वह दृढ़ इच्छाशक्ति तथा सशक्त मनोबल के चारित्रिक गुणों से सम्पन्न होने के बावजूद पुरुष के द्वारा छली जाती है। वह स्वयं अपने प्रेमी को पति के रूप में प्राप्त करती है और उस पर विश्वास करती है किन्तु उसका विश्वास झूठा साबित होता है। एंजेल विवाह होते ही पुरुषवादी अहं से प्रेरित होकर छद्म नैतिकता का आवरण ओढ़कर "टेस" के सच्चे समर्पित प्रेम को छद्म नैतिकता के बहाने ठोकर मार देता है। हार्डी का रचनाकौशल ऐसी स्थितियों के वर्णन में ही मुखर हो उठता है। लेखक थॉमस हार्डी अंग्रेज़ी कथा साहित्य में स्त्री संवेदनाओं के प्रखर अधिवक्ता के रूप में पहचाने जाते हैं। उनके सभी उपन्यास स्त्री संवेदनाओं को उनके संघर्ष और उत्पीड़न के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्नीसवीं सदी के मध्य का इंग्लैंड और उसका आभिजात्य वर्ग सामाजिक नैतिक मूल्यों को ध्वस्त कर रहा था। हार्डी के उपन्यासों में ग्रामीण परिवेश की संघर्षशील स्त्री पात्रों का एकाधिक पुरुषों द्वारा शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं। हार्डी वंचित और उत्पीड़ित नारी वर्ग के प्रबल पक्षधर कथाकार हैं। उनके उपन्यासों में "होनी को कोई नहीं टाल सकता"। मानवीय और प्राकृतिक आपदा हमेशा हार्डी के स्त्री पात्रों का पीछा करती है। टेस के जीवन में कदम-कदम पर अनेक प्रकार के अपशुकुन और अशुभ लक्षण प्रकट होते हैं। हार्डी इन लक्षणों को नायिका के लिए अशुभ का संकेत मानते हैं। हार्डी की नायिकाएँ सदैव पुरुषों के छल एवं शोषण का शिकार होती हैं। थॉमस हार्डी ने अपने उपन्यासों के माध्यम से 1880-90 के दशक में अंग्रेज़ी कथा साहित्य में आधुनिक स्त्री विमर्श का प्रतिपादन किया। टेस की त्रासदी के समकक्ष हार्डी के एक अन्य उपन्यास, "फार फ्राम द मडिंग क्राऊड" की नायिका "बेथशबा" का चरित्र आता है। उसी प्रकार उनके उपन्यास "ज्यूड द अब्सक्योर" को भी स्त्री जीवन की त्रासदी का मार्मिक दस्तावेज़ माना जाता है। हार्डी के रचना कौशल और कथावस्तुओं के चयन के लिए उनके समकालीन कथाकारों ने उनकी सराहना की है। उस काल के महान कथाकार डी.एच. लॉरेंस ने भी हार्डी के कथा शिल्प के प्रभाव को स्वीकार किया।

इस त्रासदी उपन्यास को इसकी लोकप्रियता के कारण, रंगमंच और सिनेमा, दोनों प्रारूपों में कई बार रूपांतरित किया गया। इसे पहली बार 1897 में नाटक रूप में प्रस्तुत किया गया। यह लंदन के "ब्रॉडवे" थियेटर की सार्वकालिक लोकप्रिय नाट्य प्रस्तुति सिद्ध हुई। 1913 में इस उपन्यास का फिल्मी रूपान्तरण किया गया। 1924 में हार्डी ने स्वयं ब्रिटिश थियेटर के लिए स्क्रिप्ट तैयार किया था। सन् 1946 से 2014 के बीच इसे पाँच बार रंगमंच के लिए नाटकों के रूप में निर्मित किया गया जो की आज भी लोकप्रिय हैं। सन् 1913 और 1924 में इस उपन्यास पर दो मूक फिल्में बनीं जो लोकप्रिय हुईं। इस उपन्यास पर भारत में 1996 में हिंदी में राजीव कपूर के निर्देशन में "प्रेम ग्रंथ" नामक फिल्म बनाई जिसमें माधुरी दीक्षित और ऋषि कपूर ने मुख्य भूमिकाएँ की थीं। 2000 में असमिया भाषा में इस उपन्यास पर आधारित फिल्म "निषिद्ध नदी" बनाई गई।

इस उपन्यास ने अंग्रेज़ी में टी वी धारावाहिक के रूप में बहुत ख्याति अर्जित की। बीबीसी लंदन ने इस उपन्यास पर 1952, 1960, 1998 और 2008 में भिन्न भिन्न कलाकारों के साथ सशक्त टीवी धारावाहिक बनाए, जो आज भी काफी लोकप्रिय और दर्शकों की पसंद हैं।

इस उपन्यास पर हॉलीवुड ने 1979 में पोलैंड के महान निर्देशक "रोमन पोलान्स्की" के निर्देशन में एक कालजयी फिल्म का निर्माण किया। यह फिल्म "टेस" के नाम से निर्मित हुई। इस मानव संबंधों के इस जटिल उपन्यास को फिल्म में रूपांतरित करने के लिए इसकी पटकथा तीन दिग्गजों ने तैयार की जिसमें रोमन पोलांस्की स्वयं शामिल थे, अन्य दो पटकथा लेखक "जेराड ब्राच" और "जॉन ब्राऊनजॉन" थे। इस फिल्म को 53 वें ऑस्कर समारोह में तीन ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए थे – सर्वोत्तम सिनेमाटोग्राफी, कला निर्देशन और कास्ट्यूम डिजाइन के लिए।

रोमन पोलान्स्की ने "टेस" फिल्म को हार्डी के उपन्यास की कथा वस्तु से बिना छेड़छाड़ किए पूर्णत: मौलिकता प्रदान की है। यही इस फिल्म की विशेषता है, इसीलिए यह फिल्म उपन्यास की ही भांति अत्यंत प्रभावशाली और मार्मिक है यह टेस के जीवन की पीड़ा, यातना और त्रासदी को दर्शकों के जहाँ में उतार देती है। इसके लिए निर्देशक रोमन पोलान्स्की का निर्देशन कौशल सराहनीय है। "टेस" को अभिनेत्री "नस्ताशिया किन्स्की" ने फिल्म के परदे पर जीवित कर दिया। हार्डी की टेस का निर्दोष चेहरा, पारदर्शी कान्ति की आभा लिए हुए, दीनता और गरीबी के कारण पीला पड़ा चेहरा, और निरीह आँखें, पतले होंठ वाली गंभीर मोहक मुद्रा में हार्डी के टेस की प्रतिमूर्ति है फिल्म में टेस। टेस को देखते हुए उसके सौन्दर्य के साथ उसकी आंतरिक पीड़ा का दर्शन भी प्रेक्षकों के लिए अपेक्षित था। "पीटर फर्थ" का एंजेल क्लेयर और "ली लॉसन" का एलेक ड्यूबरविल के पात्रों में भूमिकाएँ अत्यंत सशक्त और प्रभावशाली हैं।

प्रकृति के विकराल रूपों और नायिका के मनोभावों के अनुकूल प्रकृति के बदलते हुए बिम्बों के चित्रण में फ़िल्मकार ने अद्भुत कलात्मक प्रतिभा प्रदर्शित की है। यही हार्डी के चित्रण की विशेषता थी जिसे फिल्म में जीवित रखा गया। फिल्म में हार्डी का वेसेक्स ग्रामांचल जीवंत हो उठा है। उपन्यास का अंतिम पृष्ठ जिसमें "स्टोनहेज" के विशालकाय शिलाखंडों के परिपार्श्व में एंजेल का टेस को सिपाहियों को सौंप देने वाला दृश्य और फिर उसकी फांसी देने के लिए काले झंडे का संकेत, त्रासदी की वेदना को असह्य बना देता है। दर्शक "टेस" के भाग्य पर आँसू बहाते रह जाते हैं। "टेस" फिल्म त्रासद मानवीय संवेदनाओं की कलात्मक प्रस्तुति है।

"टेस ऑफ ड्यूराविल" जैसे उपन्यास शाताब्दियों में कभी-कभार और "टेस" जैसी संवेदनशील फिल्में दशकों में कभी-कभार ही निर्मित होती हैं।

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