सुन मीठे बोल बिका है शायद
शायरी | ग़ज़ल दिलबाग विर्क15 Mar 2015
सुन मीठे बोल बिका है शायद
दिल छोटा-सा बच्चा है शायद।
दाद मिली है लोगों से मुझको
मैंने कुछ झूठ कहा है शायद।
हर आहट चौंका देती हमको
हम सबमें चोर छुपा है शायद।
फिर से बेचैन हुआ दिल मेरा
तूने मुझको सोचा है शायद।
कहती है आज चमक आँखों की
कोई इंसान दिखा है शायद।
दिल टूटे तो शोर नहीं होता
कोई शीशा टूटा है शायद।
बहका देता इश्क़ जिसे भी हो
'विर्क' तुझे रोग लगा है शायद।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
पुस्तक समीक्षा
ग़ज़ल
कविता
लघुकथा
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं