अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

स्वचालित / ऑटोमैटिक

इस वैज्ञानिक युग में भाई,
आविष्कार नये होते हैं।
ऑटोमैटिक बनी मशीनें,
हम भी तो ख़ुश होते हैं॥
 
कभी नहीं सोचा ये हमने,
जग ये कैसे चलता है?
जब से है ये सृष्टि बनी,
सब अपने से ही होता है॥
 
आए जाए साँस स्वत: ही, 
दिल भी धड़के स्वयं सदा।
भोजन ऑटोमैटिक पचता, 
शक्ति हमें नित दे जाता॥
 
रक्त प्रवाहित होता रहता, 
कौन प्रवाहित करता इसको।
ऑटोमैटिक  सब होता  है, 
धन्यवाद  है उस सृष्टा को॥
 
सूरज स्वयं उदित होता  है,
स्वयं अस्त  हो जाता है।
चन्द्र स्वयं नभ में आता है,
तारों संग क्रीड़ा करता है॥
 
हवा  स्वयं चलती  रहती है,
बादल बरसा करता है।
नदी  सदा  बहती  रहती है ,
सागर भरता रहता है॥
 
जड़ी-बूटियाँ उगतीं कैसे,
रोग सभी का हर लेतीं ।
धरा अन्न उपजाती कैसे,
उदर सभी का भर देती॥
 
सारी सृष्टि स्वचालित है ये,
यही करिश्मा है प्रभु का।
ऑटोमैटिक नया नहीं है,
मानो आभार नियन्त्रण का॥

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

किशोर साहित्य कविता

बाल साहित्य कविता

कविता

स्मृति लेख

सामाजिक आलेख

ललित निबन्ध

लोक गीत

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं