स्वर की महिमा
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव20 Feb 2019
अ-अड़ियल कभी बनो नहीं।
आ-आज्ञा सदा बड़ों की मानो॥
इ-इधर-उधर न घूमो फिरो।
ई-ईश्वर सर्वज्ञ है जानो॥
उ-उज्ज्वल भविष्य बने तब ही।
ऊ-ऊब न श्रम में आवे॥
ए-एड़ी चोटी एक करोगे।
ऐ-ऐसा महान बनावे॥
ओ-ओज बनेगा चरित्र से ही।
औ-और मान बढ़ेगा जग में॥
अं-अंतःकरण शुद्ध रखोगे।
अः-अःहा! कहोगे पग-पग में॥
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