तेरी तस्वीर
काव्य साहित्य | कविता नवल पाल प्रभाकर1 Mar 2020 (अंक: 151, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
टूटे-फूटे से
जर्जर पुराने फ़्रेम में
तेरी तस्वीर न जाने
कहाँ लुप्त हो गई।
शायद धूल ने
इसे ढाँप लिया
या फिर ख़ुद फ़्रेम ने
चेहरा ये बदल दिया
मिट्टी होकर रह गई
तेरी अतीत वाली
वो तस्वीर
धुँधली पड़ गई
जो सजाई थी मैंने
नये काठ के फ़्रेम में
तेरी नये ज़माने की
वो नई तस्वीर।
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