थोड़ा वक़्त लगेगा
शायरी | नज़्म संजय कवि ’श्री श्री’15 Feb 2021
आपको याद करने की आदत,
छोड़ने में थोड़ा वक़्त लगेगा;
बड़े हो गये आप, हम अभी बच्चे,
समझने में थोड़ा वक़्त लगेगा।
अल्फ़ाज़ों ने दिल ही नहीं तोड़ा,
बिखेर दिए उसके टुकड़े टुकड़े;
तल्ख़ ये सच्चाई भी क़ुबूल मुझे,
समेटने, जोड़ने में वक़्त लगेगा।
रहम करना, नाराज़ ना होना
यूँ बार बार दस्तक देने से मेरे;
मायूस हूँ, अभी अभी बिछड़ा हूँ,
मन सहेजने में थोड़ा वक़्त लगेगा।
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