तुम्हारे आने से
काव्य साहित्य | कविता डॉ. विवेक कुमार6 Nov 2016
तुम्हारे आने से-
खिल गये आशाओं और कामनाओं के फूल
मन के आँगन और गलियारे में...
सुलझ गई मन की सारी
गुत्थियाँ हल हो गए जीवन के सारे सवाल...
उदास होंठों पर थिरक उठा
जीवन का मधुर संगीत...
प्रफुल्लित हो उठा मन
सच हो उठा मानो भिनसरहा का स्वप्न...
खिल उठी मखमली धूप
मन की देहरी में
वर्षों की अमावस रात के बाद...
गुनगुनाने लगी बरबस ही ख़ामोशियाँ
क़दमों में आज मेरे
झुक गई जैसे आकाश की ऊँचाईयाँ...
मिट गई चाह, दादी अम्मा के
साध हो गए पूरे सभी
बस देखकर एक झलक तुम्हें...
बेफ़िक्र हो गई अम्मा
घर-करनी और तमाम घरेलू-उलझनों से...
व्यवस्थित हो गया एक अदद मकान
मुखर हो उठी घर की दीवारें देखते ही देखते
उजास से भर गया घर का हर कोना
तुम्हारे आने से...
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