उड़न खटोला पाते जी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'1 May 2019
बढ़िया से एक उड़न खटोला,
काश कहीं से पाते जी।
अपने भैया अजय-विजय संग,
दूर गगन में जाते जी॥1॥
चाँद-सितारों की दुनिया में,
ज़ेब लगाकर चक्कर जी।
बैठ मजे से फिर चंदा संग,
हम खाते घी-शक्कर जी॥2॥
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