उम्रदराज़
काव्य साहित्य | कविता आयुष कुमार शर्मा1 Feb 2021
हमसे थोड़ा नहीं
बहुत बड़ा है
उम्र में एक से नहीं
सबसे बड़ा है
प्यार मोहब्बत का
जालसाज़ है वो
क़द्र करो उसकी
उम्रदराज़ है वो।
हम कह देते हैं
उन्हें पिछड़ा
जानते नहीं
क्या है उनकी इच्छा
मॉडर्न बातों से
थोड़ा नाराज़ है वो
क़द्र करो उसकी
उम्रदराज़ है वो।
माना थोड़ा बूढ़ा है
पर सबका सहारा है
उनके तजुर्बे से कम
उम्र तुम्हारी है
हमारे प्यार का
हक़दार है वो
क़द्र करो उनकी
उम्रदराज़ है वो
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