उम्रदराज़
काव्य साहित्य | कविता आयुष कुमार शर्मा1 Feb 2021 (अंक: 174, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
हमसे थोड़ा नहीं
बहुत बड़ा है
उम्र में एक से नहीं
सबसे बड़ा है
प्यार मोहब्बत का
जालसाज़ है वो
क़द्र करो उसकी
उम्रदराज़ है वो।
हम कह देते हैं
उन्हें पिछड़ा
जानते नहीं
क्या है उनकी इच्छा
मॉडर्न बातों से
थोड़ा नाराज़ है वो
क़द्र करो उसकी
उम्रदराज़ है वो।
माना थोड़ा बूढ़ा है
पर सबका सहारा है
उनके तजुर्बे से कम
उम्र तुम्हारी है
हमारे प्यार का
हक़दार है वो
क़द्र करो उनकी
उम्रदराज़ है वो
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