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उतनी ही मेरी कमाई है

सुना है तुमने एक दुनिया बसायी है
यह हक़ीक़त है या फिर बेवफ़ाई है॥
 
यह सच है तो तुम्हारी
हिम्मत को सज्दे,
तुमने ख़ुदा की दुनिया में
यह कैसी आग लगायी है॥
 
तेरे घर की गलियों से
आज कोई शोर उठा,
किसी का घर जला है
किसी की आवाज़ आई है॥
 
हालात-ए-ज़िंदगी में
जब भी तुझे ग़लत समझा,
मुझे लगा यह मेरी
मोहब्बत नहीं मेरी ख़ताई है॥
 
मैं ज़िंदगी को जब भी
मुड़ कर देखता हूँ,
लगता है एक तरफ कुँआ
एक तरफ़ खाई है॥
 
अब मैं अपने आईने से
क्या गुज़रूँ दोस्तो,
मेरे चेहरे में अब
किसी और की परछाई है॥
 
जितना कमाता हूँ
उतने में अब ख़ुश हूँ 'देव',
ख़ुदा को सज्दे
बस उतनी ही मेरी कमाई है॥

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