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वही ग़लती दुबारा क्यूँ करे कोई

1222    1222    1222

वही ग़लती दुबारा क्यूँ करे कोई 
यक़ीं फ़िर से हमारा क्यूँ करे कोई 
 
अगर बस एक है काफ़ी ज़माने में
हज़ारों को पुकारा क्यूँ करे कोई 
 
मिला है ढेर सारा माल पुरखों का
तो थोड़े में गुज़ारा क्यूँ करे कोई 
 
जताकर हक़ बुलाए प्यार से मुझको
बुलाने का इशारा क्यूँ करे कोई
 
समा कर दिल में दिल को लूट जाते हैं 
लुटेरों को गवारा क्यूँ करे कोई 
 
निभाते हैं अजी हर हाल में हम तो
हमीं से फिर किनारा क्यूँ करे कोई

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