वीरों का ले अरि से हिसाब
काव्य साहित्य | कविता सुषमा दीक्षित शुक्ला15 Jul 2020
वीरों का ले अरि से हिसाब।
चीनी शोणित से खेल फाग।
ऐ! राष्ट्र शक्ति अब जाग जाग।
ऐ! शक्ति पुँज अब जाग जाग।
रणचण्डी तेरे खड़ी द्वार।
दे रक्तपात करती पुकार।
सीने में उसके लगी आग।
उठ हो सशक्त, भय रहा भाग।
है बैरी का करना मद मर्दन।
ये सर्प कुचलने लायक़ फन।
अरि शोणित से कर अभिनन्दन।
ये मातृ भूमि का है वन्दन।
कर खड्ग ग्रहण तू लगा आग।
अब बहुत हो गया त्याग त्याग।
वीरों का ले अरि से हिसाब।
चीनी शोणित से खेल फाग।
ऐ !राष्ट्र शक्ति अब जाग जाग।
ऐ! शक्ति पुँज अब जाग जाग।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
"पहर को “पिघलना” नहीं सिखाया तुमने
कविता | पूनम चन्द्रा ’मनु’सदियों से एक करवट ही बैठा है ... बस बर्फ…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता
- अब ना सखी मोहे सावन सुहाए
- आख़िर सजन के पास जाना
- आज़ाद चन्द्र शेखर महान
- इतिहास रचो ऐ! सृजनकार
- ऐ मातृ शक्ति अब जाग जाग
- गुनगुनी धूप अब मन को भाने लगी
- जल के कितने रूप
- जाने जीवन किस ओर चला
- जीवन और साहित्य
- तुम बिन कौन उबारे
- तू बिखर गयी जीवनधारा
- नवल वर्ष के आँगन पर
- पवन बसन्ती
- प्रभात की सविता
- भावना के पुष्प
- माता-पिता की चरण सेवा
- ये जो मेरा वतन है
- रोम रोम में शिव हैं जिनके
- वीरों का ले अरि से हिसाब
- शिक्षक प्रणेता राष्ट्र का
- हुई अमर ये प्रेम कहानी
दोहे
लघुकथा
कविता-मुक्तक
स्मृति लेख
गीत-नवगीत
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}