विभा रश्मि - 1
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु विभा रश्मि18 May 2017
छेड़ तराने
गीत गा मनमाने,
ऋतु बहार।
काले बदरा
आँख लगा कजरा,
छलक पड़े।
लहरें खेलें,
करें खिलवाड़ औ'
गुदगुदाएँ।
सूरज - रश्मि
आशीष हैं बाँटती,
ख़ज़ाने में से।
बेकल पंछी
सूर्य किरण - साथ
खोजता दाने।
वर्षा - बौछार
भिगोती हैं कछार,
भीगे पखेरू।
हरी पत्तियाँ
लेतीं लुत्फ़ बारिश,
बूँदों से दोस्ती।
नंगधड़ंग
बालक करें स्नान,
उफ़ने नाले।
रिक्शा चालक
खींचता है सवारी,
आड़े लाचारी।
भीग-भीग के
हुआ है मज़बूत,
श्रम साधक।
धनुष-बाण
उठाओ धनुर्धर,
अन्याय फैला।
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