विश्राम नहीं करना होगा
काव्य साहित्य | कविता नितिन चौरसिया1 Nov 2019
धेय्य एक है मार्ग अनेकों,
अपना पथ चुनना होगा
बाधाएँ भी होंगी पथ पर,
उनको भी सहना होगा
किन्तु लक्ष्य को मार्ग चुनो जो,
अडिग उसी पर रहना होगा
मंज़िल मिल जाने से पहले,
विश्राम नहीं करना होगा
पथ पर बाधाएँ जो आएँ,
बाधाओं से मत घबराएँ
उनको हँसकर गले लगाएँ,
ठहरें मत, बस चलते जाएँ
बाधाओं के बाद ही पथ पर,
निकट लक्ष्य मुखरित होगा
मंज़िल मिल जाने से पहले,
विश्राम नहीं करना होगा
कठिन समय ये बतलाता है,
मंज़िल आने वाली है
जैसे घनी काली रात के बाद,
होती सुबह निराली है
ऐसे वक़्त पर ऐ पथिक!
धैर्य तनिक रखना होगा
मंज़िल मिल जाने से पहले,
विश्राम नहीं करना होगा
देखो! क्या रुक जाती है
गति ग्रहों, नक्षत्रों, तारों की?
या खो जाती है अन्धकार में
एक किरण उजियारे की?
साहस और विश्वास स्वयं पर,
सदा तुम्हे करना होगा
मंज़िल मिल जाने से पहले,
विश्राम नहीं करना होगा
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