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विश्व कविता दिवस

(मेरी Amazon Kindle Book ‘युग प्रवाह का दर्पण’ २०१९ से उद्धृत) 

(सन्दर्भ : विश्व कविता दिवस २१ मार्च के अवसर पर एक चिंतन) 

  

कविता है एक साधना जीवन के समीकरण में 

शीतल सुरभित मंद पवन शिक्षा के बाग़-बग़ीचा में 

भावों के सागर से निकले जीवन के अनुपम मोती 

उनको कैसे क़ैद करें शब्दों की सीमित शक्ति में?  

 

थके हुए मन के तन्तु स्पंदित होते क्षण भर में  

जब काव्य पीयूष का एक बूँद मिल जाए अँजुरी में 

भाषा देती है सुन्दर काया, अलंकार आभूषण 

शब्दों की माला गूँथ जाती व्याकरण की डोरी में। 

 

कविता की रचना में होते जीवन के सातों रंग 

प्रेम, प्रणय, और भावुकता के मोहक श्रव्य प्रसंग  

वाक् चातुरी, व्यंग्य मनोहर, विवेकशील वक्तव्य 

जिनके सम्यक समावेश से धन्य हुआ साहित्य। 

 

गगन लिखे जब काव्य गीत, तारे दीप जलाएँ 

धरती आई दुल्हन बनकर, क्षितिज लुटाए रंग 

रिमझिम वर्षा से आए कर्णप्रिय सरगम के शोर   

काव्यमयी बन गई प्रकृति, पाठक हुए विभोर !! 

 

अपनी भाषा, अपनी शैली, कविता है अपनी पहचान 

‘काव्य दिवस’ की महफ़िल में हम गाएँ अपना गान 

यह दिवस अनोखा विश्व-मंच पर, रखें इसका ध्यान 

हिन्दी की अनमोल विरासत, उसका लें समुचित संज्ञान। 

 

देश, काल, बौद्धिक विकास, का सुन्दर कोष महान 

युगों युगों की ज्ञान-मंजूषा – कविता है जिसका नाम 

देश-विदेश के बन्धन से होती अपरिचित, अनजान   

अपनी भाषा, अपनी शैली, कविता है अपनी पहचान!! 

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