वो बातें तेरी वो फ़साने तेरे
शायरी | ग़ज़ल अब्दुल हमीद ‘अदम‘26 Jun 2007
वो बातें तेरी वो फ़साने तेरे
शगुफ़्ता शगुफ़्ता बहाने तेरे
शगुफ़्ता=खिला हुआ, ताज़ा
बस एक ज़ख़्म नज़्ज़ारा हिस्सा मेरा
बहारें तेरी आशियाने तेरे
बस एक दाग़-ए-सज्दा मेरी क़ायेनात
जबीनें तेरी आस्ताने तेरे
जबीं=मस्तक; आस्तान=दहलीज़ का पत्थर
ज़मीर-ए-सदफ़ में किरन का मुक़ाम
अनोखे अनोखे ठिकाने तेरे
फ़कीरों का जमघट घड़ी दो घड़ी
शराबें तेरी बादाख़ाने तेरे
बहार-ओ-ख़िज़ां निगाहों के वहम
बुरे या भले सब ज़माने तेरे
‘अदम’ भी है तेरा हिकायत_कदाह
कहाँ तक गए हैं फ़साने तेरे
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