वो बच्चा?
काव्य साहित्य | कविता मंजुल सिंह1 Jun 2021 (अंक: 182, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
लिए हाथ में हैं खड़ा
कटोरा हर चौराहे पर
वो बच्चा!
छूता हर लावारिस चीज़ को
ताकि खाने को मिल जाए
कुछ कच्चा-पक्का!
तपते बदन के
कूल्हों पर चढ़ा रखा
है, फटा पुराना कच्छा!
छूता पैर सभी के ताकि
कोई दे, दे एक आध
आठ आने का सिक्का!
अगर उसकी ये हालत
ना होती तो क्या वह भी?
होता देश का हिस्सा!
अटल,
अभिमानी,
और सच्चा!
अगर कभी कोई
दे देता उसको
फूटी कौड़ी का सिक्का,
छीन लिया जाता
है, उससे उसकी
मेहनत का वो सिक्का!
फिर अगले दिन ना
जाने मिल जाए कहाँ
लिए हाथ में खड़ा,
कटोरा किसी और
चौराहे पर
वो बच्चा?
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