वो लाश किसकी थी
काव्य साहित्य | कविता भीम 'ग़ालिब'15 Oct 2019
कल डेढ़ फ़ुट की जो कचरे के डिब्बे में पड़ी थी,
वो लाश किसकी थी?
जो कल तक इन्हीं झरोखों से झाँकती थीं,
वो नज़रें हताश किसकी थीं?
उस छोटी सी जान को नोच कर फेंक गये किनारे पर
आख़िर उन दरिन्दों को तलाश किसकी थी?
एक बार, दो बार, कई बार देखी है ज़ुबान ख़ून से सनी
इतनी बार में भी जो ना बुझी
आख़िर वो प्यास किसकी थी?
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