व्याकुल
काव्य साहित्य | कविता अजय चंदेल25 Apr 2015
हैं मेरे नैना, दरस पियासे।
कोई कहे जाके, ये तपस पिया से॥
** पियासे (= प्यासे)
नैनो में बस एक ही है सूरत,
लगते हैं सारे दिरस पिया से॥
** दिरस (= दृश्य)
ये तो नहीं कि बस मैं हूँ व्याकुल,
वो भी हैं गाते सरस पी-हा-से॥
** पी-हा-से (= पपीहा की पीहा)
चुप ही रहूँगी, मैं सारा जीवन,
कुछ भी कहूँगी, तो बस पिया से॥
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