यह तय है कि प्यार अपना रंग लाएगा
काव्य साहित्य | कविता अर्चना अग्रवाल1 Oct 2020 (अंक: 166, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
यह तय है कि प्यार अपना रंग लाएगा
नम होंगी जब आँखें उनकी
काजल हमारा भी बह जाएगा
यह तय है कि प्यार अपना रंग लाएगा।
सूरज की रोशनी को जब
बादल जब रोकने पे आएगा
अपने हाथों में थाम कर वो हाथ मेरा
घर में कई चिराग जलाएगा
यह तय है कि प्यार अपना रंग लाएगा।
पहचान जब मेरी अधूरी सी होने लगेगी
वो एक नए नाम से मुझे बुलाएगा
यह तय है कि प्यार अपना रंग लाएगा।
मकान तो सैकड़ों हैं इस जहान में
जहाँ रहेंगे हम संग संग
बस वही तो घर कहलायेगा
यह तय है कि प्यार अपना रंग लाएगा।
ज़िन्दगी जब शाम की देहलीज़ पर ठहर जायेगी
उगते सूरज के कई चित्र वो घर में लगाएगा
यह तय है कि प्यार अपना रंग लाएगा।
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