ये अब कैसा ज़माना चल रहा है
शायरी | ग़ज़ल जय गुप्ता15 Aug 2020 (अंक: 162, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
मापनी - १२२२-१२२२-१२२
ये अब कैसा ज़माना चल रहा है
फ़क़त दिखना दिखाना चल रहा है
यूँ उनके पूछने पर ये बताया
हमारा तो फ़साना चल रहा है
बताओ कैसे मैं इज़हार करता
तुम्हारा तो बहाना चल रहा है
न पूछो हाल अब इस ज़िन्दगी का
हूँ जिंदा आब-ओ- दाना चल रहा है
नये शायर कई आते हैं लेकिन
मगर क़िस्सा पुराना चल रहा है
मुहब्बत उनसे हो ही जाएगी 'जय'
अभी नज़रें मिलाना चल रहा है
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