ये मैंने रुपये जोड़े
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव15 May 2019
कक्षा में बैठा था बबलू
आज बहुत उदास।
बात जानने पिंकी आया
फ़ौरन उसके पास॥
बोला बबलू दुखी होकर
मैं कैसे समझाऊँ?
इंतज़ाम न हो पाया
मैं कैसे फ़ीस चुकाऊँ?
पिंकी बोला-फ़ीस जमा करो
क्यों माथा है फोड़े।
जेब ख़र्च से बचा-बचाकर
ये मैंने रुपये जोड़े॥
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