ये मस्त हुस्न तेरा
शायरी | ग़ज़ल गंगाधर शर्मा 'हिन्दुस्तान'22 May 2017
ये मस्त हुस्न तेरा, कोई जलजला ही लगे
मुझको तो आशिक़ों की, अब क़ज़ा ही लगे
कि बढ़ रहा है दमा और घुट रही साँस भी
दवा बेअसर, दुआ किजिए कि दुआ ही लगे
किसने किया था सौदा, अस्मत का देश की
गुलामी कि वजह कौन थे, सच पता ही लगे
बैसाखियाँ किसी को चलना, सिखाती नहीं
है चला रहा जो सबको, वो होंसला ही लगे
"हिन्दुस्तान" को देखे तो कहे दुनिया बरबस
कामयाबियों का ये कोई सिलसिला ही लगे
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