युवा शक्ति जागो रे
काव्य साहित्य | कविता मईनुदीन कोहरी ’नाचीज़’15 Aug 2021 (अंक: 187, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
जागो-जागो, जागो रे जागो
सेवा का हथियार हाथ में
’मुझको नहीं तुझको’ के नारे से
दुखियों के दुःख दर्द को मिटाना है।
जागो रे . . . !
पर पीड़ा को मिल मिटाएँगे
एक दूजे के सहारे से आगे बढ़ना है
कष्ट ना पाए कोई दुखियारा
आओ अपने हाथों से देश बनाना है।
जागो रे . . . !
बच्चा-बच्चा समझे अपनी ज़िम्मेदारी
गाँव-गली में अनपढ़ रहे न कोई
शिक्षा की अलख जगाने को
आओ मिलकर ज्योत से ज्योत जलाएँ।
जागो रे . . . !
जन-जन को राष्ट्र हित में आना है
कुरीतियों को मिल जड़ से मिटाना है
विकास की गंगा बहाने की ख़ातिर
बस्ती-बस्ती सेवा की अलख जगाना है।
जागो रे . . . !
अपनी ताक़त को तुम पहचानो
आओ सेवा की मशाल जलाएँ
युवा-शक्ति के हाथों देश बदलने
जागो देश के युवा-युवती जागो।
जागो रे . . . !
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