ज़िन्दगी की मंज़िल
काव्य साहित्य | कविता - क्षणिका डॉ. रमा द्विवेदी17 Nov 2014
ज़िन्दगी की मंज़िलों के
रास्ते हैं अनगिनत,
शर्त है कि रास्ते,
ख़ुद ही तलाशने पड़ते हैं।
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