दिव्या माथुर का जन्म दिल्ली में हुआ और वहाँ से एम.ए. (अँग्रेज़ी) करने के पश्चात दिल्ली व ग्लास्गो से पत्रकारिता का डिप्लोमा किया। चिकित्सा-आशुलिपि का स्वतंत्र अध्ययन भी किया।
1985 में आप भारतीय उच्चायोग से जुड़ीं और 1992 से नेहरु केंद्र में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। आपका लंदन के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन में अपूर्व योगदान रहा है। रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ैलो हैं। नेत्रहीनता से सम्बन्धित कई संस्थाओं में इनका अभूतपूर्व योगदान रहा है। इसी विषय पर इनकी कहानियाँ और कविताएँ ब्रेल लिपि में प्रकाशित हो चुकीं हैं। आशा फ़ाउंडेशन और ‘पेन’ संस्थाओं की संस्थापक-सदस्य, चार्नवुड, आर्ट्स की सलाहकार, यू. के. हिंदी समिति की उपाध्यक्ष, भारत सरकार के आधीन, लंदन के उच्चायोग की हिंदी कार्यकारिणी समिति की सदस्या, कथा यू. के. की पूर्व अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन की सांस्कृतिक अध्यक्ष, दिव्या जी कई पत्र, पत्रिकाओं के सम्पादक मंडल में शामिल हैं।
अंत:सलिला, रेत का लिखा, ख़्याल तेरा और 11सितम्बर: सपनों की राख तले (कविता संग्रह), जिसका विमोचन भारतीय प्रवासी कवि सम्मेलन के दौरान श्रीमती सुषमा स्वराज के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिक्रिया भी भिजवाई। आक्रोश (कहानी संग्रह - प्रो. स्टुअर्ट मैक्ग्रेगर द्वारा विमोचित एवं पद्मानंद साहित्य सम्मान द्वारा सम्मानित), ओडेस्सी: स्टोरीज़ बाई इंडियन वुमैन राईटरज़ सेटलड एबरॉड (अंग्रेज़ी में संपादन, डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी द्वारा विमोचित) एवं “आशा: स्टोरीज़ बाई इंडियन वुमैन राईटरज़“ (अँग्रेज़ी में संपादन, साराह माईल्स द्वारा विमोचित) शीघ्र प्रकाश्य : ‘एक शाम भर बातें’ एवं ‘जीवन हा! मृत्यु‘। आपकी कहानियाँ और कविताएँ भिन्न भाषाओं के संकलनों में शामिल की गई हैं। “आक्रोश”, “ओडेस्सी (सईद जाफरी द्वारा विमोचित)” एवं “आशा” तीनों संग्रहों के पेपरबैक संस्करण आ चुके हैं।
जहाँ पॉल रौबसन द्वारा प्रस्तुत दिव्या माथुर के नाटक “टेट-ए-टेट” की भूरि-भूरि प्रशंसा हुई, वहीं उनकी दो अन्य कहानियों - ‘एक शाम भर बातें’ एवं ‘अपूर्व दिशा’ का भी सफल मंचन हो चुका है। रेडियो एवं दूरदर्शन पर इनके कार्यक्रम के नियमित प्रसारण के अतिरिक्त इनकी कविताओं को कला संगम संस्था ने भारतीय नृत्य शैलियों के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं निमंत्रित, दिव्या जी को Arts Achiever-2003 Award (Arts Council of England), Indivi™als of Inspiration and Dedication Honour (Chinmoy Mission) एवं संस्कृति सेवा सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है।
लंदन में कहानियों के मंचन की शुरुआत का सेहरा भी आपके सिर जाता है। रीना भारद्वाज, कविता सेठ और सतनाम सिंह सरीखे विशिष्ठ संगीतज्ञों ने इनके गीत और ग़ज़लों को न केवल संगीतबद्ध किया, अपना स्वर भी दिया है।
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