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प्रो. हरिशंकर आदेश

महाकवि प्रो. हरिशंकर आदेश का जन्म भारत में 7 अगस्त, 1936 ई. को हुआ। उन्होंने हिन्दी, संस्कृत और संगीत में एम.ए., बी.टी., साहित्याचार्य, साहित्यालंकार, साहित्य रत्न, विद्या वाचस्पति, संगीत विशारद, संगीताचार्य इत्यादि की विद्या प्राप्त करने के पश्चात काश्मीर में हिन्दी व संगीत का अध्यापन किया, और बाद में ट्रिनिडाड में भारत के सांस्कृतिक दूत के रूप में नियुक्त हुए। वहाँ पर आपने ’भारतीय विद्या संस्थान’ की नींव रखी जिसकी शाखायें आज भी कई अन्य देशों में हैं।

बहुमुखी प्रतिभाशाली महाकवि प्रो.हरिशंकर आदेश को अनेकों पुरस्कारों व अलंकारों से सम्मानित किया जा चुका है, जैसे कि प्रवासी भारत रत्न, प्रवासी हिन्दी भूषण, विश्व तुलसी सम्मान, मानस मनीषी, सुगन्धरा(संगीत), हमिंग बर्ड मैडल गोल्ड नैशनल एवार्ड (रिपब्लिक ऑफ़ ट्रिनीडाड एण्ड टोबेगो) वर्ल्ड लौरेयट (यू.एस.ए.), लिविंग लेजण्ड ऑफ़ 21सेंचुरी (यू.के.), इन्टरनैशनल पीस प्राईज़ (यू.एस.ए.), पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार(2002) इत्यादि।

आदरणीय प्रो. हरिशंकर आदेश जी ने लगभग ३५० पुस्तकें लिखीं, जिनमें सात महाकाव्य हैं: अनुराग, शकुन्तला, महारानी दमयन्ती, निर्वाण, ललित गीता रामायण, देवी सावित्री और रघुकुल शिरोमणि श्रीराम।

आदेश जी ने साहित्य की कई विधाओं जैसे: निबंध, कहानी, कविता (तुकांत और अतुकांत), अनूदित साहित्य, समीक्षा, नाटककार इत्यादि की पुस्तकें लिखीं। इसके अतिरिक्त संगीत के प्रकाण्ड पंडित आदेश जी ने शास्त्रीय संगीत की कई पुस्तकें लिखीं।

आदेश जी की अन्तिम पुस्तक महाकाव्य रघुकुल शिरोमणि श्रीराम था। 
आदेश की मृत्यु 28 दिसंबर, 2020 को हुई। प्रो. हरिशंकर आदेश जी साहित्य कुञ्ज के पहले दिन से स्वर्ग सिधारने तक संरक्षक भी रहे।

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