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ओंकारप्रीत

ओंकारप्रीत नई पंजाबी ग़ज़ल में महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नाम है। ग़ज़लों के अतिरिक्त उनकी नज़्में और गीत भी प्रकाशित होते रहते हैं। उनकी ग़ज़लों की पुस्तक "मेपल दी कैनवस" २००५ में प्रकाशित हुई थी। ग़ज़लों के अतिरिक्त पंजाबी नाटक में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। उनके दो नाटक "प्रगटियो ख़ालसा" और "आज़ादी दे जहाज़" मंचित और प्रकाशित हो चुके हैं। अब तक टोरोंटो, कैनेडा में निर्मित बहुत से नाटकों के पृष्ठगीत भी उन्होंने लिखे हैं।

१९९१ में भारत से कैनेडा आने के पश्चात उन्होंने "पंजाबी कलमां दा काफ़ला" नामक साहित्यिक संस्था की नींव रखी और इसके संस्थापक मुख्य सचिव बने और कई वर्षों तक इसका संचालन भी किया। उनके नेतृत्व में टोरोंटो में "पंजाबी कांफ्रेस – १९९९" और प्रगतिशील साहित्य की ७५वीं वर्षगांठ पर महत्वपूर्ण समागम काफ़ले की ओर से आयोजित किए गए। ग़दर लहर की शताब्दी समागम २०१२-१३ भी उनके नेतृत्व में सफलतापूर्वक सम्पूर्ण हुए।

आजकल वह अपने परिवार सहित, ब्रैम्पटन, कैनेडा में रह रहे हैं और अपनी काव्य-साधना में लीन हैं।

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