श्रीमती उत्तरा जी अवकाश प्राप्त शिक्षिका हैं। उनकी गिरमिटियों के इतिहास पर ‘महक’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई है तथा उनकी लघु कथाएँ ‘फ़लसफा प्यार का’ नाम से प्रकाशित हैं। वे फीजी में सक्रिय रूप से हिंदी के प्रचार-प्रसार में कार्यरत हैं। कहानी के साथ-साथ काव्य में भी उनकी रुचि है।
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