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अभिनन्दन! अभिनन्दन!

श्रेष्ठ साहित्यकार, संवेदनशील व्यक्तित्त्व एवं ऊर्जावान एवं चंदन चर्चित चरित्र के स्वामी परम सम्माननीय डॉ. राजकुमार आचार्य जी के पाणि पल्लवों में सादर अर्पित अभिनंदन

मंज़िलों पर पहुँचना भी खड़े रहना भी,
कितना मुश्किल है बड़े होकर बड़े रहना भी।
तेज़ आँधी में जलना अपने दम पर सदा,
कितना मुश्किल है चिराग़ों का खड़े रहना भी।

हे अक्षय कीर्ति के उज्ज्वल पुञ्ज –

आज आपका यह अभिनंदन, वंदन और अर्चन व आराधना हमारे अंतस की असीम गहराई से उपजी अद्भुत भावधारा की एक विनम्र अभिव्यक्ति है। ब्रह्मलीन पंडित शंकर लाल जी आचार्य एवं ममतामयी मातुश्री श्रीमती रामवती आचार्य की पावन कुक्षि से 22 जून 1961 को जन्म लेकर आपने अपनी ऊर्जावान व सृजनशील उत्कृष्ट जीवन शैली से सभी को प्रभावित किया है और अपने शानदार व्यक्तित्व के द्वारा "कुलं पवित्रं, जननी कृतार्थं, वसुंधरा भाग्यवती च तेन" की उस पवित्र उक्ति को सर्वार्थ चरितार्थ किया है। आप एक जीवंत अक्षर पुरुष की तरह वर्षों से साहित्य-सृजन की सरस अभिव्यक्ति में निमग्न हैं। हमें गर्व है कि विगत चार दशकों से, शिक्षा, आध्यात्म, करुणा के संवेदनशील पर सवार आपश्री का अद्भुत, प्रांजल व्यक्तित्व, ‘संवेदनात्मक युग चेतन बोध’ का, मंजुल मिश्रण सभी को आकर्षित कर रहा है।

हे यशस्वी विभूति –

राष्ट्रीय वैचारिक चिंतन, लोक संस्कृति और भाषा के उन्नायक आपश्री शाश्वत जीवन मूल्यों के साथ आपने एम.कॉम.; पीएच.डी. एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया,यूजीसी से स्वीकृत दो रिसर्च प्रोजेक्ट, 20 शोध पत्रों का प्रकाशन; आठ शोधकर्ताओं को पीएच.डी. अवार्ड;100 से अधिक राष्ट्रीय एवं 22 अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों का मार्गदर्शन, सिंगापुर और मलेशिया के विश्वविद्यालयों में प्रवर्तक के रूप में प्रवास कर देश को गौरवान्वित किया है।

1984 से सतत अध्यापन में लीन रहकर आपने वाणिज्य विषय की आठ पुस्तकों का लेखन, ६ सन्दर्भ पुस्तकों के साथ तीन सामाजिक सरोकारों की पुस्तकों का लेखन आपकी स्वस्तिमयी लेखनी से हुआ। 26 वर्ष तक राष्ट्रीय सेवा योजना के ज़िला संघटक के रूप में आप कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं।

आपका उन्मन व्यक्तित्व कई पदों को सुशोभित कर चुका है। आप अधिष्ठाता वाणिज्य एवं कार्य परिषद रानी दुर्गावती वि वि जबलपुर, विद्याभारती सरस्वती शिक्षा परिषद महाकौशल प्रान्त, महात्मागांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय करेली के प्राचार्य भी रहे हैं। वर्तमान में इस नर्मदा भूमि के रत्न को मध्यप्रदेश के राज्यपाल ने अवधेशप्रताप वि वि रीवा का कुलपति नियुक्त कर इस महामयी योग्यता को सम्मानित किया है।

हे शिक्षा के सारथी –

वर्तमान सूचना प्रौद्योगिकी की नवीन आधुनिक युग में आपश्री अपने प्रबुद्ध, दूरदृष्टि पूर्ण निर्देशन में अनेक जिज्ञासु विद्यार्थियों के लिए अनुसंधान एवं अध्यापन के क्षेत्र में अनंत अवसर प्रदान कर रहे हैं; वह श्लाघनीय है। एक आतंकहीन, बलवान, न्याय संगत समृद्धिवान, लोकसंस्कारित समाज की रचना में आप श्री के लिए अपनी वाणी का महत्वपूर्ण स्थान है। वक़्त के साथ चलते हुए, अपने परिवेश, समाज, संस्कृति में न्यायप्रियता, तार्किक एवं विश्लेषणात्मक बौद्धिक कौशल, विशिष्ठ अभिव्यक्ति, जन-जन से गहन सम्पर्क और किसी मुद्दे पर परत दर परत तक सूक्ष्मावलोकनोपरांत न्यायोचित तार्किक विवेचन करते हुए निर्भीक होकर श्रेष्ठ निर्णय देने जैसी कई विशिष्ठताएँ आपश्री जैसी बहुमुखी प्रतिभा के धनी को माता सरस्वती ने प्रदान की हैं।

हे नर्मदा भूमि के रत्न –

आप जैसी विभूति के उज्ज्वल मुखारविंद से इतिहास का दर्पण निखरता रहता है। जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश, चंद्रमा की शीतलता एवं जल के रंग का अनुवाद संभव नहीं है, आज उसी प्रकार आपके यशस्वी ऊर्जावान मंगलकारी जीवन का गुणानुवाद करने में हमें शब्दों का नितांत दारिद्रय अनुभव हो रहा है।

आप देश की अनेकानेक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओें व अकादमियों से पुरस्कार व सम्मान से विभूषित व निरन्तर कीर्ति के पंखों पर सवार हैं।

धन्य है आपकी लेखनी, आपकी मेधावी वाणी और आपका विलक्षण, प्रतिभावान व्यक्तित्व! आज हृदय के कोटि-कोटि एवं राशि-राशि उल्लास से हम सभी आपका अभिनंदन करते हैं।

ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह असीम वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ आजीवन आपको एक सुमंगल जीवन पथ पर गतिमान रखे।

आपका अभिनन्दन-हमारा सौभाग्य

अभिनंदन आयोजन समिति गाडरवारा
फाल्गुन कृष्ण अष्टमी
शनिवार
6 मार्च 2021
स्थल: सभाकक्ष
महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय
गाडरवारा
(शब्द सुमन – डॉ. सुशील शर्मा)

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