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वातायन के इतिहास में एक शानदार सम्मान-समारोह

डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक’ और श्री मनोज मुंतशिर वातायन-यूके द्वारा सम्मानित

 

लंदन, 21 नवंबर 2020: वातायन का वार्षिक समारोह कार्यक्रम इस बार आभासी मंच पर संपन्न हुआ, अपनी उतनी ही धूमधाम से जैसे कि 2004 से हर वर्ष हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स अथवा नेहरु केंद्र-लंदन में होता चला आया है। भारतीय उच्चायोग के मंत्री (संस्कृति) एवं -लंदन नेहरु केंद्र के निदेशक, डॉ. अमीश त्रिपाठी, श्री वीरेंद्र शर्मा, ब्रिटिश सांसद, प्रतिष्ठित लेखिका और वातायन-यूके की संस्थापक दिव्या माथुर, एफ.आर.एस.ए. की उपस्थिति में प्रख्यात लेखक एवं भारत के शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' जी को वातायन के लाइफ़-टाइम अचीवमेंट पुरस्कार और प्रसिद्ध गीतकार, पटकथा और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को वार्षिक वातायन काव्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम का संचालन किया डॉ. पद्मेश गुप्त, यूके हिंदी समिति के संस्थापक और ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज के निदेशक, जिन्होंने यूके में हिंदी को प्रचलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ने 2003 में स्थापित वातायन की गतिविधियों पर एक पावरपॉइंट भी प्रस्तुत किया। सम्मानित विभूतियों का परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मान (लाइफ़ टाइम अचिवमेंट) को स्वीकार कर डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक’ जी ने वातायन परिवार का ही नहीं अपितु यू.के के सम्पूर्ण साहित्यक समाज का सम्मान बढ़ाया है। जिस व्यक्ति का जीवन साहित्य की परंपरा हो, जिस व्यक्ति की सोच पीढ़ियों का मार्गदर्शन हो, भारत के ऐसे श्रेष्ठ हस्ताक्षर, निशंक जी को शब्दों के परिचय में नहीं बाँधा जा सकता। 
श्री मनोज मुन्तशिर के विषय में बताते हुए डॉ. गुप्त ने बताया कि इस वर्ष हमने चुना है भारत के एक यशस्वी युवा कवि को, जिन्हें आज इस बात का श्रेय दिया जाता है कि आपने एक बार फिर हिंदी कविता और शायरी को हिंदी सिनेमा की प्रचलित विधा से न केवल जोड़ा है, अपितु इस माध्यम से नई पीढ़ी के विश्व के करोड़ों युवाओं तक कविता की विधा को पहुँचाने का श्रेष्ठ कार्य किया है।   

सरस्वती वंदना की सुरीली और भावप्रवण प्रस्तुति दी प्रसिद्ध गायिका रीना भारद्वाज ने, जो एक ब्रिटिश मूल की सिंगर-सॉन्ग राइटर हैं, जिन्होंने ए.आर. रहमान के साथ अपना पहला गीत 'ये रिश्ता' रिकॉर्ड किया, जो संगीत-चार्ट के शीर्ष पर पहुँचा।  अतिथियों का अभिवादन करते हुए वातायन की अध्यक्ष, मीरा मिश्रा-कौशिक, ओबीई, ब्रिटेन में भारतीय कलाओं को सींचती, अंतरराष्ट्रीय मंचो के लिए समसामयिक प्रदर्शनों की निर्माता, पुरस्कृत निर्देशक और सांस्कृतिक नेता, ने कहा कि भारतीय उच्चायोग-लंदन के फ्रेडरिक पिनकॉट पुरस्कार से सम्मानित वातायन ने पिछले 17 वर्षों में साहित्य और संस्कृति से जुड़े हुए अंतर्राष्ट्रीय लेखकों और कला-मर्मज्ञों को एक सशक्त मंच प्रदान किया है, अप्रैल ‘20 में लागू हुए लॉकडाउन के बावजूद 35 से भी अधिक संगोष्ठियों का आयोजन कर एक विश्व-रिकॉर्ड क़ायम किया है। उन्होंने यह भी बताया कि वातायन की संरक्षक, बैरोनेस श्रीला फ्लैदर, जो अस्वस्थता की वजह से आज अनुपस्थित हैं, ने बधाई और शुभकामनाएँ भिजवाई हैं।

वाणी प्रकाशन की प्रबंध-निदेशक अदिति माहेश्वरी ने मनोज मुन्तशिर का परिचय यह कहते हुए दिया कि मनोज मुंतशिर एक बेहद लोकप्रिय गीतकार पटकथा लेखक हैं, जिन्होंने 'कौन बनेगा करोड़पति’ की पटकथा का अनुसरण करते हुए, 'गलियां’, 'तेरे संग यारा, 'मेरे दिल ने मेरी ना सुनी’, ‘तेरी मिट्टी' सहित कई सफल गीत लिखे। उन्हें 'ब्लैक-पैंथर' के हॉलीवुड प्रोडक्शन के लिए भी कमीशन मिला। वाणी प्रकाशन ने उनकी एक पुस्तक, 'ये किताब क्यूँ' हाल ही में प्रकाशित की है, जो उनपर गुज़रे कुछ हादसों पर आधारित है। तितिक्षा दंड-शाह, कृति-यूके की संस्थापक, कवि और फैशन डिजाइनर, ने पुरस्कृत कवि के क्रेडेंशल प्रस्तुत किए। वातायन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मनोज मुन्तशिर कहा कि यह सम्मान हर उस व्यक्ति के लिए है जिसे लगता है कि वह छोटे शहर से आता है; छोटे शहर में रहने का अर्थ यह नहीं है कि वह बड़े सपने नहीं देख सकता।  

अनिल शर्मा जोशी जी ने माननीय डॉ. निशंक जी का परिचय देते हुए कहा, अलावा इसके कि नई शिक्षा नीति को आकार देने में निशंक जी की भूमिका सराहनीय है, उन्होंने हिंदी की अनन्य विधाओं में 75 से भी अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जो व्यापक रूप से अनूदित हैं, जिन पर व्यापक शोध हो चुके हैं।  राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की दुनिया में, एक कवि के दिमाग़ को जीवित रखना उसकी अद्भुत रचनात्मकता का प्रतीक है।  डॉ. निखिल कौशिक, पेशे से नेत्र सर्जन पर हृदय से कवि, फ़िल्म निर्माता, ने पुरस्कृत कवि के क्रेडेंशल प्रस्तुत किए। सम्मान ग्रहण करते हुए माननीय निशंक जी ने कहा कि उनका लेखन राष्ट्रीयता के उस भाव  का सम्मान है जो उनके जीवन की प्रमुख प्रेरणा रहा है; यह उनका नहीं, उत्तराखंड की उस देवभूमि का सम्मान है, जिसका कण-कण प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता के प्रकाश से आलोकित है।

श्री वीरेंद्र शर्मा, ब्रिटिश सांसद, जो वातायन के कार्यक्रमों में नियमित उपस्थिति से हमारा मनोबल बढ़ाते रहे हैं, ने कहा कि वातायन के माध्यम से उनका परिचय अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य से हुआ।  अपने समापन भाषण में भारतीय उच्चायोग के मंत्री (संस्कृति), नेहरु केंद्र-लंदन के निदेशक, प्रसिद्ध और पुरस्कृत लेखक, डॉ. अमीश त्रिपाठी, ने पुरस्कृत कवियों को बधाई देते हुए वातायन की नियमित और सार्थक गतिविधियों की भी सराहना की और उन्हें नेहरू केंद्र में अपने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सहर्ष आमंत्रित किया।  

अंत में, अन्तरीपा ठाकुर-मुखर्जी, एफ़.आर.एस.ए.,अकादमी-यूके की प्रवर्धन प्रमुख, जो एक प्रतिभा संपन्न लेखिका भी हैं, बहुभाषीय हैं, ने धन्यवाद-ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम को वैश्विक हिंदी परिवार के फ़ेसबुक पर लाइव प्रसारित किया गया, जिसमें विश्व भर के प्रतिष्ठित विद्वान, लेखक, कलाकार और मीडिया कर्मी मौजूद थे।

 

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