प्रिय मित्रो,
पुस्तक बाज़ार.कॉम लगभग बन चुका है और डिवेलेपमेंट सर्वर से हट कर "होस्टिंग" स्थल पर पहुँच चुका है। अंतिम टैस्टिंग की प्रक्रिया चल रही है। स्मार्ट फोन की ऐप्प भी बन कर लगभग तैयार है – यानी किसी भी दिन कहा जा सकता है कि पुस्तक बाज़ार व्यवसाय के लिए खुला है। जैसा कि साहित्य कुंज के मुख्य पृष्ठ पर भी निवेदन किया है कि भावी लेखकों से आग्रह है कि वह pustakbazar.com जाकर रजिस्टर हो जाएँ। उसके बाद अपने यूज़र नेम और पासवर्ड से लॉग इन होकर My account में जाएँ। व्यक्तिगत जानकारी भरने के बाद नीचे दिए Author के बॉक्स को चेक कर दें। मैं उन्हें बैकग्राऊँड में Author होने की अनुमति दे दूँगा और लेखक/लेखिका को ई-मेल द्वारा सूचित भी कर दूँगा। अब अगली बार जब आप लॉग इन होकर आप My Account में जाएँगे तो इस बार Author का आपका व्यक्तिगत एकाउंट का पृष्ठ खुलेगा। इसमें आप अपनी पुस्तकों की बिक्री की जानकारी देख सकते हैं और यहीं से आप अपनी पुस्तकें भी प्रकाशन के लिए भेज सकते हैं।
पिछले चार वर्षों से इन्हीं दिनों का स्वप्न देख रहा था जो कि अब साकार हो रहा है। मन में एक उत्कंठा सदा से रही है कि हिन्दी का लेखक किसी तरह से अपनी कला से कुछ कमा सके। इसी उद्देश्य को लेकर इस दिशा की ओर बढ़ा था। अगर मन में सच्चाई हो तो साथी मिल ही जाते हैं। इसी तरह इस यात्रा के साथी मिले 21gfox.ca के मालिक स्टैनले परेरा जिन्होंने भारत में स्थित अपनी पूरी टीम को मेरे सुपुर्द कर दिया। जब मैं उनकी आँखों में पुस्तक बाज़ार.कॉम के नाम से आती चमक को देखता हूँ तो सोचता हूँ कि यह व्यक्ति का तो हिन्दी साहित्य के साथ कुछ लेना-देना भी नहीं है तो फिर इसके प्रति यह समर्पण क्यों? कई बार वह कह उठते हैं "सुमन जी, हम लोग कुछ ऐसा कर रहे हैं जो अपने-आप में अनूठा है"। बात उनकी सही है, हिन्दी की ई-बुक की अन्य साईट्स भी हैं परन्तु वह किसी अंग्रेज़ी की ई-बुक की साईट के सामने ठहरती नहीं है। एमाज़ॉन.कॉम में हिन्दी पुस्तकें हैं तो सहीं परन्तु मुख्य पृष्ठ तो अंग्रेज़ी को ही मिलता है। दूसरा वहाँ पुस्तकों के प्रकाशन की कोई चयन प्रक्रिया या संपादन नहीं है। इसलिए जो पुस्तकें वहाँ पर देखने को मिलती हैं – उनके बारे में मेरा कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। पुस्तक बाज़ार.कॉम के बारे में इसलिए आशावान हूँ कि अगर साहित्य का अंश मेरे हाथ मे है तो सॉफ़्टवेयर स्टैनले परेरा के हाथ में। हमें गुणवत्ता के मामले में किसी से कोई समझौता करने की आवश्यकता नहीं है।
इस उपक्रम को सफल बनाना अब आपके हाथ में है। क्योंकि किसी भी प्रकाशन संस्थान को उसके परिचालक उन्नति के शिखर पर नहीं लेकर जाते बल्कि वह लेखक उसे शिखर पर पहुँचाते हैं जो उस संस्थान के साथ जुड़ते हैं। वह पाठक बनाते हैं जो उनकी प्रकाशित पुस्तकें खरीदते हैं। पुस्तक बाज़ार की नीति के अनुसार लेखक को बिक्री का ७०% भाग मिलेगा। लेखक किसी भी समय अपने एकाउंट के पन्ने पर यह जानकारी देख सकता है – यानी एकाउंटिंग पारदर्शी है। इसे एक स्तर ऊपर ले जाते हुए प्रोग्रामिंग में इस पन्ने को "uneditable" बनाया गया है। यानी इसे अगर चाहूँ तो मैं भी संपादित नहीं कर सकता है लेखक की तो बात ही अलग है।
आप सभी लोगों से निवेदन है कि आप pustakbazar.com पर जाएँ और इसे अच्छी तरह से देखें-परखें और फिर इंटरनेट पर Hindi eBooks की सर्च करें और अन्य साईट्स के साथ इसकी तुलना करें। फिर बताएँ कि जो भी मैंने अभी तक कहा- वह सही है कि नहीं? अगर कहीं कोई कमी दीखती तो कृपया info@pustakbazar.com पर लिख भेजें। इस कमी को दूर करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
आशा है कि एक सप्ताह में पुस्तकें भी बिक्री के लिए तैयार हो जाएँगी। यह पुस्तकें आप पीसी (अपने टेबल टॉप, लैप टॉप) पर या एंड्रॉयट टैबलेट और स्मार्ट फोन पर पढ सकते हैं, अपनी लाईब्रेरी में सेव कर सकते हैं। टैबलेट और स्मार्ट फोन के लिए ऐप्प शीघ्र ही गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हो जाएगी। पीसी के लिए http://sony-reader-for-pc.en.lo4d.com/ से सोनी का ई-रीडर निःशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। अन्य निःशुल्क ई-रीडर्स की तुलना में मुझे यह सबसे अधिक अच्छा लगा।
पुस्तक बाज़ार.कॉम के बारे में आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
– सादर
सुमन कुमार घई
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