अंततः अब मिलना है उनसे मुझे
शायरी | ग़ज़ल अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’1 Sep 2021 (अंक: 188, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलातुन फ़अल फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलातुन फ़अल
212 22 2122 12 212 22 2122 12
अंततः अब मिलना है उनसे मुझे, आज तक़रीबन शाम को छः बजे,
सोच मन विचलित दिल ये कैसे सहे, तीव्र गति धड़कन शाम को छः बजे
दृग निहारे अविराम केवल घड़ी, इक घड़ी भी कटना है मुश्किल बड़ी,
मैं तो हूँ अति व्याकुल दरस के लिए, पुष्प सम आनन शाम को छः बजे
हो न जाए अतिकाल अभिसार में, अननुमत है अतिकाल ये प्यार में,
शीघ्र आएगी प्रीत भी संग ले, ख़ूब वह बन-ठन शाम को छः बजे
छम छमा छम छम ख़ूब करती हुई, वो हवाओं सी ख़ूब बहती हुई,
आई पैंजनियों की मधुर धुन लिए, छन छना छन छन शाम को छः बजे
पल मनोहर मेरी प्रिये भी रुचित, कर गई मन मादक हिये भी मुदित,
चाह है बस निस-दिन मुझे चाहिए, चारु यह जीवन शाम को छः बजे
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टिप्पणियाँ
विक्की राव 2021/08/30 02:02 PM
Waah दृग निहारे अविराम केवल घड़ी, इक घड़ी भी कटना है मुश्किल बड़ी, मैं तो हूँ अति व्याकुल दरस के लिए, पुष्प सम आनन शाम को छः बजे
आलोक वर्मा 2021/08/30 02:00 PM
Nice ghazal
प्रवीन ठाकुर 2021/08/30 01:59 PM
Shanadar
कुंदन शर्मा 2021/08/25 03:56 PM
खूबसूरत ग़ज़ल
दिलीप सिंह 2021/08/25 12:14 AM
Kya kehne ❤️ waah
अशोक वाजपेयी 2021/08/25 12:09 AM
मिलन पर बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल
विनोद उपाध्याय 2021/08/24 06:13 PM
वाह लाजवाब
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अभय राठौड़ दानापुर 2021/10/20 11:14 PM
Bahut khub laga