नये जगत की नारी
काव्य साहित्य | कविता रंजना जैन15 Feb 2023 (अंक: 223, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
मैं नये जगत की नारी हूँ
मैं नये जगत की नारी हूँ!
मैं हूँ अपने में स्वयं पूर्ण
पर से मुझको कोई चाह नहीं
मैं ज्ञानवान मैं जागरूक
सुशिक्षित सबला नारी हूँ!!
समझे न कोई अब हेय भीरु
अबला भोग्या मैं नहीं रही
मैं हूँ सृष्टि की रत्नाकर
गुण धर्मों पर हूँ टिकी हुई!!
मैं रिश्तों में जीने वाली
जननी एक गौरवशाली हूँ
फिर भी कोई मतलब पूछे
किस बात से डरने वाली हूँ!!
ऊँची उड़ान भरने वाली
ख़ुद से अब तो अनजान नहीं
मुझे दया भीख स्वीकार नहीं
मिलता जब तक सम्मान नहीं!!
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