गुड़ गोबर
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता हलीम ’आईना’21 Aug 2007
जब तक
देश का
प्रत्येक नागरिक
’व्यक्तिवाद’ के
गोबर को त्याग कर
’समाजवाद’ के
गुड़ को नहीं खायेगा
आजादी का
उज्ज्वल भविष्य
गुड़ गोबर
होता ही जायेगा।
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