शायरी - ग़ज़ल
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क क्ष ख् ग घ च छ ज ज्ञ झ ट ठ ड ढ त त्र थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श-ष श्र स ह ऋ ॐ 1 2 3 4 5 6 7 8 9
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- अंगूर की ये बेटी कितनी है ग़म कि मारी
- अंततः अब मिलना है उनसे मुझे
- अगर उन के इशारे इस क़दर मुबहम नहीं होंगे
- अगर लिखना मना है तो क़लम का कारख़ाना क्यों
- अगर सारा ज़माना चाहिए था
- अगर हम तुम्हें याद आने लगेंगे
- अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
- अच्छे बुरे की पहचान मुश्किल हो गई है
- अदालत की कहानी है
- अधरों की अबीर . . .
- अन-मने सूखे झाड़ से दिन
- अपना सब कुछ छोड़ रहा है
- अपनी आँखों के मोती को चुन-चुन उठा लूँ मैं
- अपनी सरकार
- अपनी ख़बर मिली न पता आपका मुझे
- अपनी ज़ुल्फों को सितारों के हवाले कर दो
- अपने पास न रखो
- अपने पैरों पे जो खड़ा होगा
- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- अब तो आ बाद-ए- सबा इन बस्तियों के वास्ते
- अब दो आलम से सदा-ए-साज़ आती है मुझे
- अब मकाँ होते हैं कभी घर हुआ करते थे
- अम्बर धरती ऊपर नीचे आग बरसती तकता हूँ
- अर्श को मैं ज़रूर छू लेती
- अवसर
- अश्क जब नैनों में आने लगते हैं
- अश्क़ बन कर जो छलकती रही मिट्टी मेरी
- असलियत मेरी पूरी, काश! तुम समझ पाते
आ ऊपर
- आँखों में तेरे ही जलवे रहते हैं
- आइने कितने यहाँ टूट चुके हैं अब तक
- आईने ने सुना दी कहानी मिरी
- आए मुश्किल
- आओ इक तस्वीर ले लें यार की हंसते हुए
- आज फिर सनम हमें उदास रहने दीजिए
- आज का राँझा हीर बेच गया
- आज कोई तो फैसला होगा
- आज तिरंगे को देखा
- आज फिर शाम की फ़ुर्क़त ने ग़ज़ब कर डाला
- आज महफ़िल में मिलते न तुम तो
- आज हिंदी को बचाने कोई तो आगे बढ़ो
- आज फ़ैशन है
- आजकल
- आजकल जाने क्यों
- आज़माना ठीक नहीं
- आदमी प्यार में सोचता कुछ नहीं
- आदमी हो दमदार होली में
- आप अगर हम को मिल गए होते
- आप आये तो बहारों के ज़माने आए
- आप जब टकटकी लगाते हैं
- आप जब से ज़िंदगी में आए हैं
- आप बीती
- आप रहिए तो सलामत ये दुआ कर जाऊँगा
- आपकी आदतों में हँसी चाहिए
- आपके साथ दिल लगाया है
- आपको आज इक नज़र देखा
- आपसे बात मेरी जो बनने लगी
- आबादियों से दूर जाना है मुझे
- आम कीजिए मुझे ख़ास कौन कर गया
- आरज़ू इश्क़ की अब न है मुझे
- आवाज़ कौन
- आशना हो कर कभी नाआशना हो जायेगा
- आसमाँ से कोई ज़मीं निकले
- आसमाँ शक के घेरे में है
- आज़ादी के क्या माने वहाँ
इ ऊपर
- इंसान को इंसान से इंसान कर
- इंसानियत के वाक़ये दुशवार हो गये
- इक कहानी तुम्हें मैं..
- इक तमाचा गाल पर तब मार जाती है हवा
- इक दूजे के साथ जनम भर हम दोनों
- इक न इक दिन
- इक बेटी की भाव भीनी श्रद्धांजलि
- इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ
- इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी
- इक साँस जी लिया है हर ग़म भुला दिया है
- इक ख़ुमारी रात की आँखों में भरता देखकर
- इतने गहरे घाव
- इतरा रही हवा है किस बात का नशा है
- इधर पुर में तो प्रदूषण बहुत है
- इन्सान की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती
- इलाही! चल बता सबको ज़रा
- इश्क़ में अब बग़ावत नहीं चाहिए
- इश्तिहार निकाले नहीं
- इश्क़
- इश्क़ तेरा दर्द-ओ-ग़म दे गया
- इश्क़ तो इश्क़ है सबको इश्क़ हुआ है
- इश्क़ में जिसको मुबतला देखा
- इश्क़ में मैंने जफ़ा की
- इश्क़ से गर यूँ डर गए होते
- इस गली में न उस डगर जाएँ
- इस ज़माने में भला कौन बुरा है मुझसे
- इस दुनियाँ-ए-फ़ानी में क्यूँ रोता है
- इसलिए नाम तक बेख़बर है मेरा
- इस्लाम देवबंदी बरेली सिया नहीं
उ ऊपर
- उजालों के ना जब तक आये पैग़ाम
- उठना होगा चलना होगा
- उन दिनों ये शहर...
- उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते
- उनसे खाए ज़ख़्म जो नासूर बनते जा रहे हैं
- उमर के साथ साथ किरदार
- उल्फ़त में बग़ावत की अदा आ के रहेगी
- उस एक-मय की तलाश में हूँ
- उस शिकारी से ये पूछो
- उसके जाने से है ख़ला कोई
- उसी को कुछ कहते अपना बुतखाना है
- उसे ग़ुस्से में क्या कुछ कह दिया था
ऊ ऊपर
ओ ऊपर
क ऊपर
- कंगला माला-माल बरस
- कच्चा पक्का मकान था अपना
- कटे थे कल जो यहाँ जंगलों की भाषा में
- कब किसी बंदूक या शमशीर ने रोका मुझे
- कब किसे ऐतबार होता है
- कब ये धरती और कब अंबर बचाना चाहती है
- कभी तो अपनी हद से निकल
- कभी तो रात की तन्हाइयाँ आवाज़ देती हैं
- कभी रातों को वो जागे
- कभी ख़ुद को ख़ुद से
- करूँगा क्या मैं अब इस ज़िन्दगी का
- कल ज़मीं पर आज-से दंगल नहीं थे
- कसमसाती ज़िन्दगी है हर जगह
- कह दिया वो साफ़ जो भाया नहीं
- कह रहे ग़म हैं
- कहाँ अपने नाम दम पर हम हैं
- कहाँ गुज़ारा दिन कहाँ रात
- कहानी यूँ तो पूरी लग रही है
- कहें कैसे कि मेरे नैन तर नहीं होते
- कहो इश्क़ का आस्ताना कहाँ है
- क़ाफ़िया-ओं का स्वर रदीफ़-में क़ैद हैं
- क़ैद हैं . . .
- काम का है इश्क़ मेरे
- काम कैसा अजब कर गई ख़्वाहिशें
- कामयाबी के नशे में चूर हैं साहेब
- काग़ज़ के फूल
- कि जो इंसाफ़ से नहीं मिलता
- कितनी थकी हारी है ज़िन्दगी
- किताब देना
- किन सरों में है . . .
- किनारे पर खड़ा क्या सोचता है
- किस किस को ले डूबा पानी
- किस जन्म के पापों की मुझको मिल रही है यह सज़ा
- किस तरह ख़ाना ख़राबां फिर रहें हैं हम जनाब
- किस क़दर है तुमने ठुकराया मुझे
- किसने कहा है आसमाँ, सारा उठा के चल
- किससे शिकवा करें अज़ीयत की
- किसी को जहाँ में किसी ने छला है
- किसे मैं सुनाऊँ ये ग़म का फ़साना
- कुछ इस तरह से ज़िन्दगी को देखना
- कुछ दुबके जज़ बात का ग़म है
- कुछ नये रिश्ते ढूँढ़ते हैं
- कुछ मोहब्बत की ये पहचान भी है
- कुछ सदा में रही कसर शायद
- कैसी निगाह-ए-इश्क़ में तासीर हो गई
- कोई अच्छी लगी है सूरत क्या
- कोई जब किसी को भुला देता है
- कोई भी शख़्स हर मैदान में क़ाबिल नहीं होता
- कोई मुझको शक ओ शुबहा नहीं रहा
- कोई सबूत न गवाही मिलती
- कोरे पन्नों पर रंगों-सी चुलबुल करतीं बेटियाँ
- कौन अच्छा है ज़माने में बता
- कौन करता याद
- कौन कहता है हवा दीपक बुझाना चाहती है
- कौन समझा है कौन जाना है
- क्या करूँ कोई मुझे जमता नहीं
- क्या पढूँ ग़ज़लें लिखूँ अशआर मैं
- क्या ज़रूरी किसी की चाह करो
- क़तरे को इक दरिया समझा
- क़ुसूर क्या है
- क़ैद ए ज़िन्दगी से हम क्यूँ रिहा ना हो जाएँ
- क़ौम की हवा
क्ष ऊपर
ख् ऊपर
- ख़त फाड़ कर मेरी तरफ़ दिलबर न फेंकिए
- ख़ुद को ख़ुदी से बच के बचे ही रहेंगे हम
- ख़ुदा का ख़ौफ़ लोगों के दिलों में क्यूँ नहीं दिखता
- ख़ुदा की मेहरबानी या कोई इकराम समझेंगे
- ख़ूबसूरत हैं तो होने दो नज़र में मेरे नइं
- खार राहों के फूलों में ढलने लगे
- खिलते हुए फूल मुरझाने लगे हैं
- खेलन को होली आज तेरे द्वार आया हूँ
- ख़त लिखना तुम
- ख़ामोशियाँ कहती रहीं सुनता रहा मैं रात भर
- ख़ुद को ख़ुद से ही जोड़ दे मुझको
- ख़ुद को ऊँचा जो नाप जाता है
- ख़ुद से नज़रें चुराने के दिन आ गए
- ख़ुदनुमाई के कभी आलम नहीं थे
- ख़ुदा से है कोई ख़ारिज...
- ख़ुशबुओं की तरह महकते गए
- ख़ूबसूरत याद जब तन्हाई को महका गयी
- ख़्वाबों की फ़हरिस्त लगा दी
ग ऊपर
- गर तू मुझसे बेख़बर आबाद है
- गर बेटियों का कत्ल यूँ ही कोख में होता रहेगा
- गर्व की पतंग
- गलियों गलियों हंगामा है
- गली कूचों में सन्नाटा बिछा है
- ग़ज़ल में नक़ल अच्छी आदत नहीं है
- ग़म नहीं हो तो ज़िंदगी भी क्या
- ग़म मिटाने की दवा सुनते हैं मयख़ाने में है
- ग़वारा करो गर लियाक़त हमारी
- गीत ग़ज़लों की ज़ुबाँ थे पहले
- गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं
- गुज़र (गुज़ारा)
- गुनाह तो नहीं है मोहब्बत करना
- गुल को अंगार कर गया है ग़म
- गुफ़्तगू इससे भी करा कीजे
- गो कहीं से भी ख़ुशी ले आओ मेरे वास्ते
- ग़मनशीं था मयकशी तक आ गया
- ग़ौर से देख, चेहरा समझ
च ऊपर
- चमकते चाँद सी मुस्कान फूलों सी हँसी उसकी
- चमन में गया दरबदर मैंने देखा
- चरागाँ ये सूरज सितारे न होंगे
- चल चल रे मुसाफ़िर चल है मौत यहाँ हर पल
- चले आना तेरे रस्ते में मैं पलकें बिछाऊँगी
- चले हैं लोग मैं रस्ता हुआ हूँ
- चाँद तारों का सफ़र कर लें हम
- चाँद बोला चाँदनी
- चाँद सितारों से क्या पूछें कब दिन मेरे फिरते हैं
- चाँद-सूरज में शरारत होती है
- चार पैसे जेब में हैं ख़्वाब मेरे ग़ैब में है
- चाह लम्बी तसल्ली छोटी थी
- चाहता तू जो है वो मैं अब नहीं
- चाहे जिससे भी वास्ता रखना
- चाहे तो पीर-पयंबर-कि कलंदर देखो
- चिराग हो के न हो दिल जला के रखते हैं
- चूर है शीशा-ए-दिल एक नज़र और सही
- चोट गहरी है जो दिखती नहीं है
- चढ़ा था जो सूरज
छ ऊपर
ज ऊपर
- जंग छोड़कर जो भागे थे
- जनाज़े जा रहे हैं डोलियों से
- जब आप नेक-नीयत
- जब कभी मैं अपने अंदर देखता हूँ
- जब नहीं तुझको यक़ीं अपना समझता क्यूँ है
- जब पुराने रास्तों पर से कभी गुज़रे हैं हम
- जब भी लोग सीरत देखा करते हैं
- जब-जब मुझको है मिला
- जले जंगल में
- जवां हो प्यार तो किसको अदाकारी नहीं आती
- जहाँ उम्मीद हो ना मरहम की
- जहाँ कहीं समर हुआ
- जहाँ में इक तमाशा हो गए हैं
- जहाँ हम तुम खड़े हैं वह जगह बाज़ार ही तो है
- ज़माने में चर्चा है रहता ख़बर में
- ज़रा मुस्कुराइये
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ज़िंदा हूँ जी रहा मेरी मंज़िल क़रीब है
- ज़ुल्म कितना वो ज़ालिम करेगा यहाँ
- जा रहा हूँ अपने मन को मारकर यह याद रखना
- जाड़ा
- जाते जाते जो कुछ वो कर गये
- जान उन बातों का मतलब
- जान पहचाना ख़्वाब आया है
- जानता हूँ मैं किसी की लानतें अच्छी नहीं
- जाने कहाँ से पूतना बस्ती में आई है
- जाने कितने ही उजालों का दहन होता है
- जिगर में प्यास हो तो अच्छा लगता है
- जिनको समझा नहीं अपने क़ाबिल कभी
- जिसे सिखलाया बोलना
- जैसा बोएँ वैसा प्यारे पाएँगे
- जैसा सोचा था जीवन आसान नहीं
- जो चिंतनशील थे इस देश के हालात को लेकर
- जो जहाँ भी जहां से उठता है
- जो पल कर आस्तीनों में हमारी हमको डसते हैं
- जो मिरे सामने नज़ारा है
- जो लोग जान बूझ के नादान बन गए
- ज़माना क्या-क्या तेवर माँगता है
- ज़माना ख़राब है
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
- ज़मीं आसमान की ताक़त
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी इक सफ़र है नहीं और कुछ
- ज़िंदगी चलती रहेगी
- ज़िद की बात नहीं
- ज़िन्दगी का सामना बस इस तरह करते रहे
- ज़िन्दगी में अँधेरा . . .
- ज़िन्दगी में अन्धेरा
- ज़िन्दगी से लोग इतना डर गए
- ज़िन्दा है और . . .
- ज़ुर्म की यूँ दास्तां लिखना
- ज़ेह्न में और कोई डर नहीं रहने देता
- ज़ख़्म भी देते हैं
ज्ञ ऊपर
ढ ऊपर
त ऊपर
- तन्हा हुआ सुशील .....
- तबीयत हमारी है भारी
- तर्क ए वफ़ा
- तारे छत पर तेरी उतरते हैं
- तिरे ख़्याल के साँचे में ढलने वाली नहीं
- तीरगी सहरा से बस हासिल हुई
- तुझ को हम पाने
- तुझको देखूँ तो सीने में
- तुझे दिल में बसाना चाहता हूँ
- तुझे हो यक़ीं न हो यक़ीं
- तुम क्या आना जाना भूले
- तुम ने तो फेंक ही दिया जिस दिल को तोड़ कर
- तुम नज़र भर ये
- तुम पास मेरे आ रहे थे
- तुम मैं और तन्हा दिसंबर
- तुम, मानो या न मानो तुम
- तुमको दुबारा दिल्ली कभी भेजता नहीं
- तुम्हारी तरह झूठ गर हम भी बोलें
- तुम्हारी याद में हम रोज़ मरते हैं
- तुम्हारी ये अदावत ठीक है क्या
- तुम्हारी शख़्सियत के मैं बराबर हो नहीं सकता
- तुम्हारी हरकतों से कोई तो ख़फ़ा होगा
- तू नज़र आई न
- तू मेरे राह नहीं
- तेरी उस और की दुनियाँ से दूर हूँ
- तेरी दावत में गर खाना नहीं था
- तेरी दुनिया नई नई है क्या
- तेरी बेबसी का पता रहे
- तेरी संगत से ही राहत होती है
- तेरी हर बात पर हम ऐतबार करते रहे
- तेरे आगोश में
- तेरे इंतज़ार में
- तेरे घर के सामने से गुज़र जाए तो क्या होगा
- तेरे दर पे वो आ ही जाते हैं
- तेरे बग़ैर अब कहीं
- तेरे सपनों का दौर क्या होता
त्र ऊपर
द ऊपर
- दरीचा था न दरवाज़ा था कोई
- दर्द का दर्द से जब रिश्ता बना लेता हूँ
- दर्द को दर्द का एहसास कहाँ होता है
- दर्द-ए-दिल कौन जाने
- दायरे शक के रहा बस आइना इन दिनों
- दिन बीता लो आई रात
- दिल अगर बीमार सा है सोचिए
- दिल उनका भी अब इख़्तियार में नहीं है
- दिल कहाँ मुब्तिला है उसे क्या पता
- दिल का मेरे
- दिल का राज़ छुपाना था
- दिल की दिल में ही तो रह गई
- दिल के लहू में
- दिल तो है चाक शार के मारे
- दिल नहीं है जाँ नहीं है पास में
- दिल भर आए तो क्या कीजिए
- दिल में मचलते हैं मेरे अरमान क्या करें
- दिल लगाना पड़ा दिल दुखाना पड़ा
- दिल है आईना-ए-हैरत से दो-चार आज की रात
- दिल-ओ-जाँ से दिया जिसको सहारा
- दिलबर की सूरत आँखों में तारी रख
- दिलबर तेरे ख़्याल का पैकर नहीं हूँ मैं
- दिललगी हो रही है सितम के लिए
- दीवारों से कान लगाकर बैठे हो
- दुःखों की बस्तियों में तो, बस आँसू का बसेरा है
- दुआ में तेरी असर हो कैसे
- दुनिया से जुदा प्यार का क़िस्सा है हमारा
- दुनियाँ में ईमान धरम को ढोना मुश्किल है
- दूध पी के भी नाग डसते हैं
- दूर मुझसे न जा वरना मर जाऊँगा
- दूर बस्ती से जितना घर होगा
- दे दिया उसने है ईंट गारा मुझे
- देख दुनिया . . .
- देख, ऐसे सवाल रहने दे
- देखता ही रह गया
- देखा है मुहब्बत में, हया कुछ भी नहीं है
- देर तक
- दो किताबें हाथ में है
- दो दिलों में आशिक़ी का रंग वो पैदा हुआ
- दोष किस का गुनाह किस का है
- दोस्तों को आज़माना सीख ले
- दौर कोई इम्तिहानी चाहिए
ध ऊपर
न ऊपर
- न औरों की निंदा न मज़हब की बातें
- न चाहा बेवफ़ा की याद में
- न वापसी है जहाँ से वहाँ हैं सब के सब
- न ज़मीं से है मेरी गुफ़्तगू न ही आसमाँ से कलाम है
- नए मकां है
- नक़ाब हों या सेहरे
- नदी को जलधि में समाना
- नया सबेरा
- नये पत्ते डाल पर आने लगे
- नये साल में
- नये सफ़र की राह में, कोई मुझे मिला नहीं
- नहीं प्यार होगा कभी ये कम, मेरे साथ चल
- नहीं मिला कहीं भी कुछ अगरचे दर-ब-दर गए
- नहीं हमको भाती अदावत की दुनिया
- ना जाने क्या गुनाह करने की बात है
- ना मिली छाँव कहीं यूँ तो कई शज़र मिले
- नाम इतना है उनकी अज़मत का
- नाम लिक्खा छुरी, जिसने छूरी नहीं
- निगाह-ए-वस्ल ढूँढ़ती निशान-ए-हम-नफ़स यहाँ
- निगाहों में अब घर बनाने की धुन है
- निभाने को रिश्ता झुका तो बहुत हूँ
- नूर चेहरे पे निगाहों में यक़ीं पाते हैं
- नूर-अफ़्शाँ/ शाम-ए-ग़म
- नूर-ए-ख़ुदा
- नज़र के सामने सोना पड़ा है
प ऊपर
- पंख थे परवाज़ की हिम्मत ना हो सकी
- परवाने को उधर ही गुज़ारा दिखाई दे
- पल-पल का पूछते हिसाब
- पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है
- पास इतनी, अभी मैं फ़ुर्सत रखता हूँ
- पृष्ठ तो इतिहास के जन-जन को दिखलाए गए
- पेश आते हैं वो प्यार से आजकल
- प्यार की तान जब लगाई है
- प्यार के ख़ुशनुमा ज़माने थे
- प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है
- प्यार में सुख कभी नहीं मिलता
- प्यार से रोशन ख़ुदाया
फ ऊपर
- फ़ना हो गये हम दवा करते करते
- फ़िदा वो इस क़दर है आशिक़ी में
- फिर पुरानी राह पर आना पड़ेगा
- फूल खिलते हैं बाग़ों में जब दोस्तो
- फूल उनके हाथ में जँचते नहीं
- फूल पत्थर में खिला देता है
- फूल महके यूँ फ़ज़ा में रुत सुहानी मिल गई
- फूलों की आरज़ू में बड़े ज़ख्म खाए हैं
- फूलों की टहनियों पे नशेमन बनाइये
- फ़िसादो दर्द और दहशत में जीना
- फ़िज़ां में इस क़द्र है तीरगी अब
- फ़ुरसत से घर में आना तुम
- फ़ैसला कैसे करेगा वो
- फ़ैसले की घड़ी जो आयी हो
ब ऊपर
- बंजर ज़मीं
- बच तो नहीं सकेंगे कॅरोना के जाल से
- बचे हुए कुछ लोग ....
- बच्चे गये विदेश कि गुलज़ार हो गए
- बड़े कितने भी हो जाएँ पिता का डर नहीं जाता
- बदल गई है लय जीवन की...
- बदली निगाहें वक़्त की क्या क्या चला गया
- बस फ़क़त अटकलें लगाते हैं
- बस इतना जानता हूँ आप का हूँ
- बस ख़्याल बुनता रहूँ
- बस ख़्याले बुनता रहूँ
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- बहुत होता सरल अपनी अना से दूर हो जाना
- बात सच्ची कहो पर अधूरी नहीं
- बात करने को करेंगे और कहने को कहेंगे
- बात की बात
- बाद मेरे सुनाया जायेगा
- बादल मेरी छत को भिगोने नहीं आते
- बारिश की ऋतु आ गई
- बारिशें . . .
- बारिशों में भीग जाना सीखिये
- बिना कुछ कहे सब अता हो गया
- बिना तेल के दीप जलता नहीं है
- बिसर जाए तेरा चेहरा दुहाई हो
- बुढ़ापे में उसका नहीं कोई सानी
- बुनियाद में
- बे सबब जो सफ़ाई देता है
- बे-वफ़ा हो या बा-वफ़ा हो तुम
- बे-सबब दिल ग़म ज़दा होता नहीं
- बे-सबब मुस्कुराना नहीं चाहिए
- बेचैन रहता है यहाँ हर आदमी
- बेवजह तो बात मैं करता नहीं
- बेवफ़ा है वो वफ़ा कैसे करूँ
- बेवफ़ाई की अदा जाती नहीं
- बेवफ़ाओं से मुहब्बत
- बेशक बचा हुआ कोई भी उसका पर न था
- बेहतर है
- बोतलें ख़ाली पड़ी हैं घर में क्यों
- बज़्म में गीत गाता हुआ कौन है
- बड़े हौले से उसने आज मेरा हाथ छोड़ा है
भ ऊपर
म ऊपर
- मक्कार चोर धूर्त
- मछेरा ले के जाल आया है
- मज़हबी
- मज़े में सुहाना सफ़र कीजिए
- मत पुकारो मुझे यों याद ख़ुदा आ जाए
- मदरसे में ये पढ़ा जाता नहीं
- मर्द
- मस'अला तो है अना का
- मसअले मेरे सभी हल हो गए
- मस्ख़रों ने भी मज़े मेरे लिए
- माकूल जवाब
- मान लूँ मैं ये करिश्मा प्यार का कैसे नहीं
- मानवता है बिखर गई
- मायूस न हो ऐ दिल
- मासूम सी तमन्ना दिल में जगाए होली
- मिरी लाडली है मेरी जान है तू
- मिल रही है शिकस्त
- मिली भगत सरकार से है
- मिले हैं सिलसिले ग़म के मुहब्बत के समंदर में
- मीर ग़ालिब की नस्लें चैट जीपीटी वाले शायर बनेंगे
- मुझको अपना एक पल...
- मुझको उसकी ख़बर नहीं मालूम
- मुझको गिरके ही तो उठना है
- मुझको मोहब्बत अब भी है शायद
- मुझको वफ़ा की राह में, ख़ुशियाँ मिलीं कहीं नहीं
- मुझपे मौला करम की नज़र कीजिए
- मुझसे आख़िर वो ख़फ़ा क्यूँ है,
- मुझे जब से अपना बनाया है उसने
- मुझे तुम से मुहब्बत है
- मुझे प्यार कोई न कर सका
- मुझे रास आई न दुनिया तुम्हारी
- मुड़के देखा नहीं मुस्कुराए नहीं
- मुर्दों की बस्ती में यहाँ ज़िंदा कोई नहीं
- मुल्क तूफ़ाने - बला की ज़द में है
- मुसीबत में भी तनती जा रही हूँ
- मुहब्बत इनायत दुबारा न कर दे
- मुहब्बत और अखुव्वत के गुलो गुलशन खिलाने हैं
- मुहब्बत का सबक़ पहला यही है
- मुहब्बत का ही इक मोहरा नहीं था
- मुहब्बत में ख़ुशी और दर्द का रिश्ता पुराना है
- मुक़द्दर में सभी के बेटियाँ
- मुफ़्त चंदन
- मेरा मकान है
- मेरा यक़ीन, हौसला, किरदार देखकर
- मेरा वुजूद तुझसे भुलाया नहीं गया
- मेरा सफ़र भी क्या ये मंज़िल भी क्या तिरे बिन
- मेरी आरज़ू रही आरज़ू
- मेरी नज़रें अब उसको परखना चाहती है
- मेरे दिल में भी आ के रहा कीजिए
- मेरे अरमानों की अर्थी इस तरह से ना उठाओ
- मेरे गीतों मेरी ग़ज़लों को रवानी दे दे
- मेरे शहर में
- मेरे सामने आ के रोते हो क्यों
- मेरे हिस्से जब कभी शीशे का घर आता है
- मेरे क़द से . . .
- मैं इश्क़ का परस्तार हूँ
- मैं उसे यूँ ही मिला था कारवाँ में
- मैं कभी साथ तेरा निभा ना सका
- मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है
- मैं तन्हा हूँ ये दरिया में
- मैं तिरे नज़दीक़ आना चाहती हूँ
- मैं तो एक दिवाना हूँ
- मैं पिघलता जा रहा हूँ अक्स से
- मैं बचा इश्क़ के अज़ाबों से
- मैं मुहब्बत को हवस क्यों ना कहूँ
- मैं शायर हूँ दिल का जलाया हुआ
- मैं सपनों का ताना बाना
- मैं सब की नज़रें बचाकर छुपाकर देखता हूँ
- मैं सफ़र से ऐसे गुज़र गया
- मैं फ़रेबी हूँ जहाँ का
- मैंने कोई वबाल जो पैदा नहीं किया
- मोहब्बत से दामन बचाना हमारा
- मौक़ा’-ए-वारदात पाया क्यों गया
- मौत तो बस अब बहाना हो गया
- मौसम बदलने लगा
- मौसम बदला सा
- मज़हबी टेहनी पे गुल फूटेंगे अभी और
य ऊपर
- यह उजाला तो नहीं ‘तम’ को मिटाने वाला
- यहाँ ख़ामोश नज़रों की गवाही
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- या मकानों का सफ़र अच्छा रहा
- याद आये तो
- याद की बरसातों में
- याद भी आते क्यूँ हो
- यादों की फिर महक छाई है
- यूँ तेरी याद से राब्ता रह गया
- यूँ आप नेक-नीयत
- यूँ आशिक़ी में हज़ारों, ख़ामोशियाँ न होतीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- यूँ भी कोई
- यूँ सियासत ने ग़रीबों को फसाया जाल में
- यूँ ही रोज़ हमसे, मिला कीजिए
- ये अब कैसा ज़माना चल रहा है
- ये कौन छोड़ गया इस पे ख़ामियाँ अपनी
- ये घातों पर घातें देखो
- ये चुभन है इश्क़ की इस से ज़ियादा कुछ नहीं
- ये ज़िंदगी तो सराबों का सिलसिला सा है
- ये धूपछाँव क्या है ये रोज़ोशब क्या है
- ये मस्त हुस्न तेरा
- ये है निज़ाम तेरा
- ये ज़ख़्म मेरा
- यक़ीं जिसको ख़ुदा पर है कभी दुख में नहीं रोता
र ऊपर
- रंग बदलूं कि रोशनी बदलूं
- रक़ीबों से हमको निभानी नहीं है
- रग-रग के लहू से लिक्खी है
- रहती है मंज़िल मेरी मुझसे आगे
- रात की याद में दिन गुज़ारा गया
- रात-दिन यूँ बेकली अच्छी है क्या
- रास्ता किस जगह नहीं होता
- राह में हम अपनी ही दीवार बन कर रह गये
- राह ख़ुदा की पाई है
- राज़ अपने तुमको बताती गयी
- राज़ खुलते गए
- रिश्तों की टूटन को कितना कम कर देता है
- रुक गया है कारवाँ इतवार कैसे हो गया
- रुत बहारों की सुहानी चाहिए
- रुदन है तो हँसाना है
- रुलाया था बहुत तुमने, जो मेरे दिल को तोड़ा था
- रूठकर न जाओ हँस के जाओ बुरा क्या है
- रूठे से ख़ुदाओं को
- रोक लो उसे
- रोगी को मर्ज़ की कुछ दवा चाहिए
- रोने की हर बात पे
- रोशनी के साए में
- रोशनी देने इस ज़माने को
- रोशनी लाती है दीवाली
- रोज़ जोश-ए-जुनूँ आए
- रोज़ पढ़ता हूँ भीड़ का चेहरा
- रौनक़-ए शाम रो पड़ी कल शब
ल ऊपर
- लकीर कागज़ पर
- लग रहा था कि घर में तन्हा हूँ
- लम्हा इक छोटा सा फिर उम्रे दराज़ाँ दे गया
- लाख पर्दा करो ज़माने से
- लाभ का हिस्सा बड़ा जाता है जिन व्यापारियों तक
- ली गई थी जो परीक्षा वो बड़ी भारी न थी
- लुट गयी मेरी दुनिया मैं रोया नहीं
- लुटती है रोज़ प्यार की बारात देखिये
- लेकर निगाह-ए-नाज़ के ख़ंजर नए-नए
- लेकिन तुम्हें दिल से भुलाना कठिन है
- लोग हसरत से हाथ मलते हैं
व ऊपर
- वक्त की गहराइयों से
- वक़्त भी कैसी पहेली दे गया
- वतन का खाकर जवाँ हुए हैं
- वफ़ा में चूर गर ये आपकी फ़ितरत नहीं होती
- वस्ल में उनकी तबीयत फ़ाम कर लें
- वही अपनापन ...
- वही बस्ती, वही टूटा खिलौना है
- वही ग़लती दुबारा क्यूँ करे कोई
- वादों की रस्सी में तनाव आ गया है
- वाल्मीकि
- वो अगर मेरा हमसफ़र होता
- वो आहें भी तुम्हारी थी ये आँसू भी तुम्हारे हैं
- वो इश्क़ के क़िस्से
- वो इश्क़ के क़िस्से
- वो चलाये जा रहे दिल पर
- वो जो एक दिवाना है
- वो जो मोहब्बत की तक़दीर लिखता है
- वो नर्म नाज़ुको बिस्तर उठाने वाला है
- वो ना महलों की ऊँची शान में है
- वो परिंदे कहाँ गए
- वो बचा रहा है गिरा के जो
- वो बहुत सख़्त रवाँ गुज़री है
- वो बातें तेरी वो फ़साने तेरे
- वो लम्हा जो तुमको छूकर जाता है
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- वक़्त उड़ता सा चला जाता है
- वक़्त के साँचे में ढल कर
- वक़्त बहुत ही झूठा निकला
- वफ़ा के तराने सुनाए हज़ारों
श-ष ऊपर
श्र-श ऊपर
स ऊपर
- सकूनबख़्श नज़ारे ख़रीद लेता है
- सच कह रहे हो ये सफ़र आसान है बहुत
- सच का ये कैसा सवाब है
- सच के लिये
- सच को लगती आज गवाही
- सनम जबसे पर्दा उठाने लगे हैं
- सब खामोश हैं यहाँ कोई आवाज नहीं करता
- सबकी नज़रों का सवाल
- सबकी सुनना, अपनी करना
- सबको सबकुछ रहबर नहीं देता
- सबसे दिल का हाल न कहना
- सबू को दौर में लाओ बहार के दिन हैं
- समझौते की कुछ सूरत देखो
- सरगोशियाँ हर ओर हैं
- सर्द मौसम में मैं तन्हा रह गया
- सहरा कहीं हयात कहीं दाम आ पड़ा
- सहूलियत की ख़बर
- साँप की मानिंद वोह डसती रही
- साँस जाने बोझ कैसे...
- साँसों में जब तक रफ़्तारी रहती है
- साए से अलग हो के वो जाते नहीं होंगे
- साथ गर आपका नहीं होता
- साथ मेरे पुरखों का, इक निशान रहने दो
- साथ मेरे रही उम्र भर ज़िंदगी
- साथ मेरे हमसफ़र
- साथ-साथ सब क़दम उठें
- सामने काली अँधेरी रात गुर्राती रही
- साया बनकर साथ चलेंगे
- सारा दिन घर में शोर करते हैं
- सारे जहाँ में कोई अपना नहीं हमारा
- साग़र से लब लगा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी
- सिखाना छोड़, होंठों पर उसी का नाम रहने दे
- सिर्फ ख़यालों में न रहा कर
- सिर्फ़ ईमान बचा कर मैं चला जाऊँगा
- सिला
- सीखे नहीं सबक़ भी
- सीधी बातें सच्ची बातें
- सुख कम हैं, दुःख हज़ार
- सुन तो सही जहां में है तेरा फ़साना क्या
- सुन मीठे बोल बिका है शायद
- सुन यह कहानी तेरी है
- सुना है सबको भा चुका हूँ मैं
- सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम
- सूरज की हर किरन तेरी सूरत पे वार दूँ
- सूरत बदल गई कभी
- सूर्य से भी पार पाना चाहता है
- सो नहीं मैं पाता हूँ
- सोच की सीमाओं के बाहर मिले
- सोया हूँ मैं मरा नही हूँ मैं
- सफ़र में
ह ऊपर
- हँस के बोला करो बुलाया करो
- हँसती गाती तबीयत रखिये
- हथेली में सरसों कभी मत उगाना
- हम कहीं भी रहें माँ की दुआ साथ रहती है
- हम खिलौनों की ख़ातिर तरसते रहे
- हम जिए जाएँ लम्हें हर..
- हम तो तन्हाई में गुज़ारा कर गए
- हम तो समझते थे हम एक उल्लू हैं
- हम ने ख़ुश रह के कमी देखी है
- हम पुकारा किए ज़िंदगी ज़िंदगी
- हम ले के अपना माल जो मेले में आ गए
- हम ग़रीबों की कहानी आप से मिलती नहीं
- हम ज़िन्दगी के साथ चलते चले गये
- हमने देखे हैं कई रंग ज़माने वाले
- हमें अब मयक़दा म'आब लगे
- हमें क्या देखना था क्या हमें दुनिया दिखाती है
- हमेशा दोष मेरा ही रहा है
- हर किसी से न वास्ता रखना
- हर कोई कह रहा है दीवाना मुझे
- हर गली के छोर पर चलते हैं ख़ंजर
- हर चेहरे पर डर दिखता है
- हर जगह हर पल तुझे ही ढूँढती रह जाएगी
- हर तरफ़ ये मौत का जो ख़ौफ़ है छाया यहाँ
- हर दम मेरे पास रहा है
- हर शब ख़याले-यार के इज़हार में रहा
- हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू
- हर सू हर शै में हमको वो दिखते हैं
- हवा के साथ मिलकर पंछियों के पर को ले डूबा
- हसरतों की इमलियाँ
- हसरतों के इस जहाँ में मैं कहाँ हूँ और क्या हूँ
- हसीं-घरों में वो शीशे दिखाई देते हैं
- हाँ में हाँ कहने की आदत अब नहीं
- हाँ यही ख़ुद से रिश्ता मेरा जोड़ दे
- हाथ पकड़कर अनुज को अपने, जो चलना सिखलाते हैं
- हाल
- हाल सबका ब-हाल है कि नहीं
- हुई ग़ायब सआदत है
- हुस्न क्या है रूह के आगे बता
- हुस्न पर यूँ शबाब फिरते हैं
- हुज़ूर, आप तो जा पहुँचे आसमानों में
- है इश्क़ अब ताजिराना कैसा
- है उजाले का निमंत्रण...
- है ख़ाली अभी सर में सौदा नहीं है
- है ये फ़ासलों की चाहत हमें रास्ता बना लो
- हैं आँखें बहुत कुछ जताने को आतुर
- हैं नहीं मगर वो समझते हैं
- हो मुश्किल तो एक इशारा करना
- हक़ीक़त है क्या, दिल्लगी जानते हैं?
- हज़ार क़िस्से सुना रहे हो