ख़ुद को ख़ुद से ही जोड़ दे मुझको
शायरी | ग़ज़ल संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’1 Jul 2021 (अंक: 184, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
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ख़ुद को ख़ुद से ही जोड़ दे मुझको
मैं तो कहता हूँ छोड़ दे मुझको
माँ से बेटी की आस क्या होगी
अपनी आंचल का कोर दे मुझको
मेरी मंज़िल तेरी पनाहों में
तेरी राहों में मोड़ दे मुझको
मैं भी देखूँ है ये जहाँ कैसा
अपनी हाथों की डोर दे मुझको
मेरी फ़ितरत है टूट जाने की
मैं आईना हूँ तोड़ दे मुझको
अंधेरी रातों में जगा हरदम
वो साथी दे जो भोर दे मुझको
दे सोने को दो गज़ ज़मीं 'बेघर'
मेरे रब अपनी ओर दे मुझको
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