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कहाँ अपने नाम दम पर हम हैं

 

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कहाँ अपने नाम दम पर हम हैं।
तिरे अहसानो करम पर हम हैं।
 
‘है’ तू तो है ये जहाँ का आलम,
हमें भी महसूस ये है हम हैं।
 
मिरे इस दिल में मिलेगा भी क्या,
किसी का ढाया सितम है हम हैं।
 
भला अब क्या चाहते हो मुझसे,
अभी भी ज़िंदा बदन है हम हैं।
 
जहाँ काँटें ही खिला हैं करते,
वही परती का चमन है हम हैं।
 
यहीं क्या काफ़ी नहीं है ‘बेघर’,
हमे जीने का भरम है हम हैं।

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