संदीप कुमार तिवारी - मुक्तक - 001
काव्य साहित्य | कविता-मुक्तक संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’1 Mar 2020 (अंक: 151, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
1.
हमें भूलने वाले तो मज़े से चैन के नींद सोते हैं
क्या सितम है हम फिर भी प्यार के बीज बोते हैं
वो जो उनके ख़ातिर हज़ार सपने देखे थे कभी
कम्बख़्त वही आँखों से अब खून के आँसू रोते हैं
2.
तेरी यादों में याद करता हूँ तेरी यादें
वही भूली, वही बिसरी, वही बिछड़ी यादें
मैं तेरी याद में कुछ ऐसे डूब जाता हूँ
भूल जाता हूँ तेरी याद में अपनी यादें
3.
कई लम्हें एक लम्हे में सिमट जाते हैं,
मेरी आँखों से कुछ मोती बिखर जाते हैं
जब भी छाती है संगदिल तेरी यादों कि घटा
बूँद बनके हम सावन में बरस जाते हैं
4.
जिस्म की चाह नहीं दिल पुकारता है तुम्हें
अब भी आजा ओ संगदिल पुकारता है तुम्हें
बेवफ़ा तू नहीं, मैं ख़ुद ही अपना क़तिल हूँ
तुम पे मरने को ये क़ातिल पुकारता है तुम्हें
5.
सिर्फ़ दिल तोड़ देते तो कोई बात नहीं होती
ये कहते हैं कि प्यार में सौगात नहीं होती
क्यूँ इश्क़ को भी मज़हबी बना देते हैं लोग
अब कैसे बतायें आँसुओं की जात नहीं होती
6.
यार अब ये आदमी मजबूर कितना है
चार दिन की ज़िंदगी में दस्तूर कितना है
इक तेरी याद है जो जिस्म के क़रीब है
एक तेरा जिस्म है की दूर कितना है
7.
ज़माने में तुम भी सरेआम हो जाओगे
मुझे ख़रीदोगे और नीलाम हो जाओगे
इश्क़ इबादत ही है, कोई तहज़ीब नहीं
कर के तो देखो, बदनाम हो जाओगे
8.
बिछड़कर रूह नींदों से बता कैसे वो सोता है
फूल को प्यार पत्थर से कहीं ऐसा भी होता है
तुम्हारे अश्क भी साथी न मेरे काम आएँगे
ये मेरा दर्द अपना है ख़ामख़ाँ तू भी रोता है
9.
देख तो लिया बाहर से, मेरे अंदर तो देखा ही नहीं
अरे तुमने अभी दर्द के मंज़र को देखा ही नहीं
दो बूँद आँसुओं को तुमने नदी का नाम दे दिया
यार तुमने इन आँखों में समंदर तो देखा ही नहीं
10.
अंधों की तरह आँखें चार मत करना
तपाक से तुम यूँ ही प्यार मत करना
आजकल अब फूल ही चुभा करते हैं
किसी मासूम शख़्स पे ऐतबार मत करना
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
- अपनी आँखों के मोती को चुन-चुन उठा लूँ मैं
- आज फिर सनम हमें उदास रहने दीजिए
- आपके साथ दिल लगाया है
- आसमाँ से कोई ज़मीं निकले
- कहाँ अपने नाम दम पर हम हैं
- कहें कैसे कि मेरे नैन तर नहीं होते
- कि जो इंसाफ़ से नहीं मिलता
- कुछ दुबके जज़ बात का ग़म है
- छोड़ो कहने को सिर्फ़ बातें हैं
- जब भी लोग सीरत देखा करते हैं
- जिगर में प्यास हो तो अच्छा लगता है
- तेरे सपनों का दौर क्या होता
- दिल भर आए तो क्या कीजिए
- दिल लगाना पड़ा दिल दुखाना पड़ा
- दिललगी हो रही है सितम के लिए
- ना जाने क्या गुनाह करने की बात है
- फूल खिलते हैं बाग़ों में जब दोस्तो
- बिसर जाए तेरा चेहरा दुहाई हो
- मुझसे आख़िर वो ख़फ़ा क्यूँ है,
- मेरे दिल में भी आ के रहा कीजिए
- रात की याद में दिन गुज़ारा गया
- सबको सबकुछ रहबर नहीं देता
- सुना है सबको भा चुका हूँ मैं
- हम ने ख़ुश रह के कमी देखी है
- हम ग़रीबों की कहानी आप से मिलती नहीं
- हमने देखे हैं कई रंग ज़माने वाले
- ख़ुद को ख़ुद से ही जोड़ दे मुझको
कविता
- अँधेरों के मसीहा
- आँसू
- आदमी तू बेकार नहीं है
- एक फ़रियाद मौत से भी
- किन्तु मैं हारा नहीं
- कौन तुम्हें अपना लेता है?
- क्रोना
- गिरता पत्थर
- गीत उसका गाता हूँ
- जब हम बच्चे थे
- जीवन तेरा मूल्य जगत में कितना और चुकाना है
- दर्पण
- दिये की पहचान
- फिर मुझे तेरा ख़याल आया
- बढ़ते चलो
- भूल न जाना आने को
- मत पूछो कि क्या है माँ
- मिट्टी मेरे गाँव की
- मैं हार नहीं मानूँगा
- मौसम बहार के
- ये दौर याद आयेगा
- राज़ (संदीप कुमार तिवारी)
- स्त्री (संदीप कुमार तिवारी)
- हृदय वेदना
नज़्म
कविता-मुक्तक
बाल साहित्य कविता
गीत-नवगीत
किशोर साहित्य कविता
किशोर हास्य व्यंग्य कविता
विडियो
ऑडियो
उपलब्ध नहीं