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अंजलि जैन शैली-त्रिवेणी-002

 

1.
है वापस दास्तां की सुनामी, है मतलबी फ़ितरत, 
ग़ुरबती तूफ़ान में तार तार वो भारत प्रतिभा रत, 
 
भूला मालिक ताज ओ तख़्त, दासता ही ताज़ है!! 
 
2.
चले आते हैं दबे पाँव मेहमान से वो
चार दिन की चाँदनी औ रुख़सत उनकी
 
बंद आँखों से दीदार, ये ‘ख़्वाब’ किसकी मिल्कियत हैं? 
 
3.
हिंद, हिंदी, हिंदुस्तानी में दोगली लहर चैत्र की
माँ एक ही होती हर धानी-स्वाभिमानी क्षेत्र की
 
पौष तो कोट टाई, चैत्र साड़ी है विकल्प चुनो सही॥
 
4.
कि मत मानो मुझे, कवि की तो तुम मानो
क़ीमत क्या है पानी की, सरज़मीं की जानो
 
अम्रत पाने, पलायन करें? पाले पोषे लाल मेरे। 

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