संवेदना
काव्य साहित्य | कविता अंजलि जैन शैली15 Sep 2023 (अंक: 237, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
संवेदना का अथाह सागर है
रिश्ते सारे सफल तैराक हैं
कुछ तट पर खड़े लहरें गिनें मुँह मोड़े
प्रेम के मोतियों से अछूता
तल से भी रीता,
कोई न डूबता, न डुबकी लगाता
मानो तो
अति, इति का समानुपात न होना
निराशा की खोखली सीप है॥
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