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 जयंती या पुण्य तिथि

रात सूरज जनेगी
देख लेना
सुबह सुबह तुम,
उपेक्षा की आकृतियाँ
प्रसव पीड़ा बनकर
चीखेंगी
यह भी देखना तुम,
यह बात ज़रूर है
रात की लाश पर खड़े होकर
लोग पूजेंगे सूरज को
जो अभी अभी जन्मा है
अँधेरे की कोख से
पता नहीं अँधेरे की
पुण्य तिथि मनायेंगे
या उजाले की जयंती।

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